ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘टॉयलेट : एक प्रेम कथा’ ( Toilet: Ek Prem Katha ) हमेशा ही धरतीके दिल के बेहद करीब रहेगी. फिल्म में वे सुपरस्टार अक्षय कुमार के अपोजिट दिखीं व इसमें सरकार के स्वच्छ हिंदुस्तान (स्वच्छ भारत) अभियान के बारे में बताने के साथ ही महिला सशक्तिकरण पर भी जोर दिया गया था. यह फिल्म मध्य प्रदेश की अनीता नर्रे की एक बायोपिक थी, जिसने ससुराल में शौचालय न होने के कारण अपने पति के घर को छोड़ दिया था व फिल्म में धरती ने छोटे शहर की एक दृढ़ व प्रगतिशील युवा महिला की किरदार निभाई थी. इस फिल्म में उनके बेहतर प्रदर्शन की बहुत ज्यादा प्रशंसा भी हुई व इसके लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अदाकारा के कई पुरस्कार भी जीते.
भूमि ने करवाया टॉयलेट व छात्रावास का निर्माण
हालांकि किसी को भी इस बात की जानकारी नहीं है कि, धरती ने जब से इस फिल्म को साइन किया है, तब से ही वे अपने इर्द-गिर्द के क्षेत्रों में स्वास्थ्य व स्वच्छता को बढ़ावा देने का कोशिश कर रही हैं. इस क्रम में टॉयलेट की दूसरी वर्षगांठ के मौका पर, धरती ने चंबल स्थित लड़कियों के आश्रम के लिए एक छात्रावास व नए शौचालय का निर्माण कराया है. बताते चलें कि धरती पिछले 2 वर्ष से सक्रिय रूप से स्कूल का योगदान कर रही हैं.
‘टॉयलेट’ की दूसरी वर्षगांठ पर किया उद्घाटन
सक्रिय रूप से एजुकेशन प्रदान करने व चंबल घाटी में वेश्यावृत्ति को रोकने के लिए बच्चों को रोजगारपरक कौशल सिखाने का कार्य कर रहे मध्य प्रदेश स्थित आवासीय विद्यालय अभ्युदय आश्रम का धरती योगदान करती रही हैं. इससे जुड़े एक सूत्र के मुताबिक धरती ने आश्रम की लड़कियों के लिए एक छात्रावास व नए शौचालय का निर्माण किया है व इस सुविधा का उद्घाटन टॉयलेट की दूसरी वर्षगांठ के मौका पर किया गया.
पिछले दो वर्ष मदद कर रही हैं भूमि
सूत्र के मुताबिक घाटी में वेश्यावृत्ति से लड़ने व इसकी रोकथाम के लिए ही साल 1992 में मुरैना स्थित गर्ल्स स्कूल की स्थापना की गई थी. स्कूल बच्चों के लिए जॉब की संभावनाओं की तलाश कर उन्हें सशक्त बनाते हुए उनके बेहतर भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता है. स्कूल के इस बेहतर काम को देखते हुए धरती लगभग दो सालों से धन व उपहार के साथ स्कूल का योगदान करने के साथ ही घाटी में लड़कियों के बीच स्वच्छता की जरूरत को भी बढ़ावा दे रहीं हैं. सूत्र का बोलना है कि अपनी प्रशंसित फिल्म सोन चिरैया की शूटिंग के लिए चंबल दौरे के क्रम में धरती को इस स्कूल व इसके कार्यों का पता चला. इसके बाद उनका स्कूल के साथ बहुत ज्यादा गहरा जुड़ाव हो गया.
चंबल मेरे दूसरे घर के सम्मान : भूमि
भूमि ने बोला कि अभ्युदय आश्रम बहुत ज्यादा अच्छा कार्य कर रहा है. मैं भी चंबल घाटी की लड़कियों के लिए हमेशा अपना कार्य करती रहूंगी. मेरे दिल में, चंबल का जगह दूसरे घर के समान है व मैं अभ्युदय में यह देखने के लिए जाती रहती हूं कि लड़कियां क्या व कैसे कर रही हैं. धरती के मुताबिक, अब वे उनका परिवार बन गए हैं व वे घाटी की स्त्रियों के बीच स्वच्छता, शिक्षा, सशक्तीकरण व लड़कियों के समान अधिकारों के बारे में सभी आवश्यक व जरूरी संदेशों को बढ़ावा देना चाहती हैं.