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किसानों ने आरोप लगाया है कि गवर्नमेंट ने पिछले प्रदर्शन में किए वादे अभी तक पूरे नहीं किए हैं. किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर गवर्नमेंट ने हमारी मांगे नहीं मानीं तो दो दिन तक चलने वाला ये प्रदर्शन लंबा चल सकता है. किसानों का यह मार्च आजाद मैदान तक जाएगा. जहां किसान गवर्नमेंट के विरूद्ध हल्ला बोलेंगे. दो दिन की इस रैली का समापन 22 नवंबर को होगा.
मुख्य रूप से लोड शेडिंग की समस्या, वनाधिकार कानून लागू करने, सूखे से राहत, न्यूनतन समर्थन मूल्य, स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने जैसी मांगों के साथ ये किसान सड़कों पर उतरे हैं. किसानों का कहना है कि पिछले प्रदर्शन को करीब 9 महीने हो गए हैं, जिनमें से किसानों को दिए गए कई आश्वासन अब तक पूरे नहीं हो सके हैं.
किसानों के इस आंदोलन में कई सामाजिक कार्यकर्ता व किसान आंदोलनों से जुड़े लोग शामिल हैं. संगठन की ओर से बोला गया है कि अगर महाराष्ट्र गवर्नमेंट की ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया जाता है तो आंदोलन की समय सीमा को व आगे बढ़ाया जा सकता है. महाराष्ट्र का बड़ा भाग हर वर्ष सूखे की चपेट में आता है साथ ही किसानों की आत्महत्या गवर्नमेंट के लिए गंभीर चुनौती का विषय है.