इन देशो पर हमला कर सकता है रूस, शुरू हो सकता है भयानक युद्ध…

अजरबैजान के राष्ट्रपति अलीयेव ने कहा कि इससे पहले जिन इलाक़ों पर अज़रबैजान ने दोबारा अपना कब्ज़ा कर लिया था, उन इलाक़ों पर आर्मीनिया अपना कब्ज़ा करना चाहता है और यही इस लड़ाई का मुख्य कारण हैं।

साथ ही उन्होंने दावा किया कि 27 सितंबर से लड़ाई शुरू होने के बाद से काराबाख़ के इलाक़े में अज़रबैजान ने 200 सेटलमेन्ट्स पर अपना कब्ज़ा जमा लिया है। जब तक आर्मीनिया अपने कदम पीछे नहीं हटाता, ये लड़ाई नहीं रुकेगी।

इसी कड़ी में शनिवार को रूस ने कहा कि अगर लड़ाई आर्मीनिया तक पहुँच जाती है, तो रूस एक रक्षा समझौते के तहत आर्मीनिया को हर आवश्यक मदद देने के लिए तैयार रहेगा। अज़रबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने आर्मीनियाई प्रधानमंत्री के पत्र को हार स्वीकार करना कहा है।

ऐसे में इल्हाम अलीयेव ने कहा कि देखा जाए तो आर्मीनिया ने हार मान ली है लेकिन वो सरेंडर नहीं करना चाहता। बातचीत के माध्यम से अज़रबैजान इस मामले को सुलझाना चाहता है लेकिन आर्मीनिया को शांति से कोई सरोकार नहीं है। वो काराबाख़ के इलाक़े पर हमेशा अपना कब्ज़ा चाहते हैं।

तुर्की के विदेश मंत्री ने एक बार फिर इस बात पर ज़ोर दिया कि आर्मीनिया-अज़रबैजान के बीच जारी टकराव में तुर्की अपने सहयोगी अज़रबैजान के साथ मज़बूती से खड़ा है। स्पष्ट्ता के साथ उन्होंने कहा कि तुर्की बाकू में अपने अज़ेरी भाईयों के साथ खड़ा है।

दरअसल आर्मीनिया के रूस से संभावित सुरक्षा सहायता पर विचार-विमर्श के एक दिन बाद तुर्की के विदेश मंत्री अज़रबैजान पहुँचे हैं। वही इससे पहले अर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिन्यान ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को पत्र लिख कर नागोर्नो-काराबाख़ की लड़ाई में सहायता मांगी थी।

इन दिनों नागोरनो-कराबाख के अलगाववादी इलाको को लेकर जंग युद्ध विराम खत्म होने के बाद कल यानी रविवार को भी जारी रही। ऐसे में आर्मीनिया और आजरबैजान के सुरक्षाबलों ने हुए नये हमलों का कसूरवार एक-दूसरे को ठहराया है।

दूसरी तरफ नागार्नो-काराबाख के विवादित इलाके को लेकर आजरबैजान के लिए तुर्की ने फिर से तगड़ी आवाज उठाई है। रविवार को तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत चोवुशुग्लू अज़रबैजान की राजधानी बाकू पहुंचे थे। उन्होंने अज़रबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव से वार्ता की।