आलू-प्याज के बाद अब महंगा हुआ ये , आम-आदमी पर पड़ेगा गेहरा असर

भारत में पाम ऑयल का आयात होता है लेकिन Lockdown के कारण मलेशिया जैसे देशों में इसका प्रोडक्‍शन घट गया है. इसके साथ ही बीज के दाम भी बढ़े हैं. हालांकि सरकारी स्‍तर पर प्राइस पर नियंत्रण के प्रयास हो रहे हैं.

सितंबर में खाद्य तेल जैसे पामोलीन तेल और सोयाबीन तेल की कीमतों में करीब 15 फीसदी तक कि बढ़ोतरी देखने को मिली थी. दूसरी तरफ सरसों के तेल और सनफ्लॉवर के तेल की कीमतों में 30 से 35 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई. अब सरकार को यह विचार करना है कि क्या ताड़ के तेल के आयात शुल्क को कम किया जाए क्योंकि ताड़ के तेल की कीमतों में वृद्धि सीधे अन्य खाद्य तेलों की कीमतों पर प्रभाव डालती है.

उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 6 दिसंबर के बाद से देश के खुदरा बाजारों में अधिकतर खाद्य तेलों के भावों में तेजी देखी गई. पैक पाम तेल 100 रुपये से 109 रुपये, सूरजमुखी तेल 123 रुपये से 127 रुपये और सरसों तेल 133 से 137 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया है. वहीं मूंगफली तेल की कीमतों में ढाई फीसद की गिरावट आई है.

आलू-प्याज के दाम में आई नरमीइन पांच दिनों में आलू का औसत मूल्य 42.88 रुपये था, जो अब घटकर 36.62 रुपये हो गया है. वहीं प्याज अब करीब 50 रुपये से 44 रुपये पर आ गया है. टमाटर अभी भी लाल है और इसके भाव में करीब 6 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. इसी अवधि में खुली चाय में करीब 5 फीसद की बढ़त हुई है. 228.86 रुपये किलो से यह 239 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई है.

बाजार में नया आलू आने के बाद से इसकी कीमत काबू में आने लगी है. पिछले पांच दिनों में आलू का भाव 40 रुपये किलो के नीचे आ गया. वहीं, अब प्याज के भाव भी कम होने लगे हैं. हालांकि, तेल की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है.

खाने में उपयोग होने वाले सभी खाद्य तेलों मूंगफली, सरसों का तेल, वनस्पती, सोयाबीन, सूरजमुखी और ताड़ की औसत कीमतें एक बार फिर बढ़ गई हैं. खाद्य तेल की बढ़ती कीमतें सरकार के लिए चिंता का कारण बनी हुई है. यहीं कारण है कि इसकी कीमतों को कम करने के तरीकों को लेकर सरकार विचार कर रही है.