कड़ाके की सर्दी के बीच अमेठी का राजनीतिक तापमान आज (04 जनवरी) को गरमा सकता है। तीन राज्यों में कांग्रेस पार्टी की गवर्नमेंट बनाने के बाद पहली बार अपने संसदीय एरिया अमेठी के दौरे पर हैं। वहीं, कांग्रेस पार्टी के गढ़ में अपनी हुंकार भरने के लिए भी शुक्रवार (आज) अमेठी पहुंचेगी। दोनों महान नेताओं के एक साथ अमेठी पहुंचने से यहां का राजनीतिक पारा गर्म हो सकता है।
स्मृति ईरानी अमेठी में बीते लोकसभा चुनाव के बाद से सक्रिय हैं। उनका बीते 15 दिन में अमेठी में यह दूसरा दौरा है। स्मृति की अमेठी में सक्रियता से राहुल गांधी लगातार अमेठी का दौरा कर रहे हैं। 2014 के बाद पहली बार दोनों महान एक ही दिन अमेठी में होंगे। ऐसे में दोनों नेताओं के तंज से अमेठी का सियासी पारा गर्म होने की आसार है।
राहुल गांधी का अमेठी में दो दिवसीय दौरा है, वो यहां चार व पांच जनवरी को कई कार्यक्रमों में बाग लेंगे, जबकि स्मृति ईरानी एक दिवसीय दौरे पर यहां पहुंचेंगी। राहुल शुक्रवार को अपने निर्वाचन एरिया के लोगों से मुलाकात करेंगे। वह सलोन, परशदेपुर, नसीराबाद, परैया व गौरीगंज जाएंगे। वह गौरीगंज जिला अधिवक्ता संघ के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे व अधिवक्ता भवन का उदघाटन करेंगे, जो सांसद निधि से निर्मित कराया गया है। पांच जनवरी को राहुल मुसाफिरखाना, जगदीशपुर व तिलोई जाएंगे जहां वह दिवंगत कांग्रेस पार्टी नेता शिव प्रताप सिंह के परिवार वालों से मुलाकात करेंगे। फिर वह दिल्ली जाने के लिए लखनऊ रवाना हो जाएंगे।
लेकिन आखिरी वक्त में राहुल के प्रोग्राम में परिवर्तन किए गए हैं। राहुल गांधी के दौर में आकस्मित परिवर्तन किया गया है। राहुल अब लखनऊ अमौसी एयरपोर्ट की स्थान रायबेरली के फुरसतगंज उतरेंगे, जहां पार्टी के नेता उनका स्वागत करेंगे। इसके बाद राहुल शुक्रवार को अपने संसदीय एरिया के गौरीगंज में अभिवक्ताओं के प्रोग्राम में शामिल होंगे।
दूसरी ओर स्मृति ईरानी राघव सेवा संस्थान की ओर से आयोजित प्रोग्राम में शिरकत करेंगी। वह एक स्कूल की आधारशिला भी रखेंगी व जिला अस्पताल में सिटी स्कैन मशीन का उद्घाटन करेंगी। राहुल ने 2014 के लोकसभा चुनाव में स्मृति को हराया था, लेकिन स्मृति ने अमेठी की जनता से बराबर संपर्क बनाए रखा।
यह पहला मौका होगा जब दोनों नेता 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद एक ही दिन अमेठी में होंगे। 2014 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को न सिर्फ कड़ी मुक़ाबलादी थी, बल्कि राहुल गांधी के जीत के अंतर को बहुत ज्यादा कम कर दिया था।