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यह निर्णय उस वक् आया है जब एक दिन पहले ही राज्य के मुखिया चंद्रबाबू नायडू ने कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात हुई थी. नायडू ने बोला था कि दोनों पार्टियों के बीच साझेदारी पर निर्णय पार्टी कार्यकर्ताओं की मर्जी से होगा. बताते चलें कि तेलंगाना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी व तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था मगर साझेदारी कोई खास कमाल नहीं कर पाया था. केसीआर की आंधी के बीच कांग्रेस पार्टी ने 119 सीटों में से 19 जबकि टीडीपी ने मात्र दो सीटों पर जीत हासिल की थी.
तेलंगाना के कांग्रेस पार्टी नेताओं ने भी राहुल गांधी स टीडीपी से साझेदारी तोड़ने की मांग की थी. 9 जनवरी को आंध्र प्रदेश कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष ने भी राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को साझेदारी को लेकर एक रिपोर्ट सौंपी थी. अविभाजित आंध्र पर कांग्रेस पार्टी ने 2004-14 तक राज किया मगर बंटवारे का नुकसान उसे उठाना पड़ा. कांग्रेस पार्टी ने बंटवारें के बाद आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने की बात कही थी. सर्वे बताते है कि इस वादे की वजह से कांग्रेस पार्टी इस बार अपना वोट शेयर 12 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है.
दक्षिणी तट के एक जिले के वरिष्ठ कांग्रेस पार्टी नेता ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया कि चुनाव में कांग्रेस पार्टी का अकेले उतरना नुकसानदायक होगा. पार्टी के अंदर मौजूद कुछ लोग यह सलाह जगहमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को लाभ दिलाने के लिए दे रहे हैं.
जानकारों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी व टीडीपी में एकता की कमी से वाईएसआर को लाभ होगा. तेलंगाना जैसा परिणाम मिले यह जरुरी नहीं है. तेलंगाना देश समिति ने चुनाव में टीडीपी को बाहरी की तरह दिखाया व दिल्ली-अमरावती प्रभुत्व की बात कहकर जनभावनाओं को भड़काया. यह मुद्दा यहां नहीं होगा अगर कांग्रेस पार्टी व टीडीपी राज्य में साथ आए.