आंदोलन को एक महीना पूरा होने पर किसान करने जा रहे ये काम , अब क्या करेगी सरकार

किसान आंदोलन 21वें दिन में प्रवेश कर गया. इस बीच एक 65 वर्षीय किसान ने सिंघू बॉर्डर प्रदर्शन स्थल पर आत्महत्या कर ली. किसान ने सुसाइड नोट में कहा कि वह किसानों की दुर्दशा को देख नहीं सकते, जो हाल ही में पारित कृषि बिल के विरोध में राष्ट्रीय राजधानी के बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष पर किसानों की समस्या के समाधान के रास्ते में रोड़े अटकाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियां किसानों को निर्णय तक नहीं पहुंचने देना चाहती हैं, लेकिन असली किसान नेता जरूर समाधान का रास्ता निकालेंगे.

15 दिसंबर को तीन नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों को गुमराह करने के लिए विपक्षी दलों पर तीखा हमला करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के प्रति अपनी सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया. मोदी ने कहा कि किसानों के हितों की रक्षा करना उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है.

12 दिसंबर को पंजाब और हरियाणा समेत दिल्ली हाईवे पर स्थित सभी टोल प्लाजा पर किसानों ने कब्जा कर लिया. उन्होंने यहां से गुजर रहे वाहनों को बिना कोई शुल्क दिए गुजरने दिया. वहीं सिंघु, टिकरी, चिल्ला और गाजीपुर बॉर्डर पर अपना डेरा डाले रहे. इन बोर्डरों पर किसानों को खाना खिलाने के लिए लंगर चलाए जा रहे.

3 दिसंबर को चली सात घंटे की बैठक में किसानों ने केंद्र सरकार के तीनों मंत्रियों से दोटूक कह दिया कि कृषि कानूनों की वापसी तक आंदोलन जारी रहेगा. सरकार के कई मांगों पर नरम रुख के बावजूद किसान नेताओं ने स्पष्ट कहा है कि उन्हें संशोधन मंजूर नहीं है, बल्कि वे कानूनों का खात्मा चाहते हैं.

8 दिसंबर को किसानों द्वारा भारत बंद बुलाया गया. सुबह 11 बजे से 3 बजे तक किसानों ने सड़कों को जाम कर दिया था, जिसके कारण हाई वे पर वाहन सवारों को वापस लौटना पड़ा.

किसानों के भारत बंद को देखते हुए, बॉर्डर पर भारी संख्या में पुलिस बल की मौजूदगी रही. हालांकि इस भारत बंद का असर कुछ जगहों पर दिखाई दिया.

किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच 1 दिसंबर को विज्ञान भवन में 3 घंटे से अधिक तक पहली बातचीत हुई. यह बातचीत बेनतीजा रही. किसान नेता सरदार चंदा सिंह ने कहा, “कृषि मंत्री ने हमसे कहा कि एक छोटी कमेटी बना दो. सरकार, किसानों की उस छोटी कमेटी से इस सब विषयों पर बात करेगी, लेकिन हमें सरकार का यह प्रस्ताव मंजूर नहीं है.”

27 नवंबर को दिल्ली की सीमाओं- टिकरी, सिंघु बॉर्डर पहुंचे हजारों की तादात में किसानों का स्वागत ठंडे पानी की बौछारों से किया गया. इसी दिन केंद्र सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों को बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड में विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति दी.

साथ ही केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नए कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए सभी किसानों को आमंत्रित किया. लेकिन किसानों ने निरंकारी ग्राउंड जाने का ऑफर स्वीकार नहीं किया.

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों को राजधानी की सीमाओं पर डटे हुए 30 दिन हो गए हैं. सरकार और किसान संगठनों के बीच छह दौर की बातचीत का अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है.

दिल्ली की सीमाओं पर लगभग एक महीने से प्रदर्शन कर रहे किसान तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हैं. 26 नवंबर को पंजाब और हरियाणा से हजारों की संख्या में किसान आकर दिल्ली के समीप सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर आकर जुट गए थे. तब से अबतक क्या-क्या हुआ. यहां पढ़िए.

26 नवंबर को हजारों किसान दिल्ली की ओर कूच कर रहे थे. दिल्ली पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर किसानों को राजधानी में आने से रोक दिया. दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे पर यात्रियों को पूरे दिन भारी ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ा. दिल्ली मेट्रो सेवाएं कुछ लाइन पर निलंबित कर दी गई.