अमेरिका ने निकली चीन की हवा, छोड़ा ये हथियार , सेना के साथ…

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मॉर्गन ओर्टैगस ने कहा कि पांच साल पहले 25 सितंबर, 2015 को व्हाइट हाउस रोज गार्डन में खड़े चीनी राष्ट्रपति ने वादा किया था कि चीन का इरादा स्प्रैटली द्वीप समूह और चीन के सैन्यीकरण का नहीं है। आउटपोस्ट किसी भी देश को लक्षित या प्रभावित नहीं करेगा। हाल के महीनों में, दक्षिण चीन सागर में चीन के गैर-कानूनी समुद्री दावों के लिए संयुक्त राष्ट्र में अपने औपचारिक विरोध को व्यक्त करने वाले राज्यों की अभूतपूर्व संख्या हुई है।

संयुक्त राज्य अमेरिका ने कहा कि चीन दक्षिण चीन सागर में नियंत्रण के लिए अपनी सैन्यीकृत चौकियों का इस्तेमाल कर रहा है। बीजिंग लगभग 1.3 मिलियन वर्ग-मील दक्षिण चीन सागर के अपने संप्रभु क्षेत्र के रूप में दावा करता है।

बीजिंग ने हाल के वर्षों में पड़ोसी देशों द्वारा मछली पकड़ने और खनिज उत्खनन जैसी व्यावसायिक गतिविधि को बाधित करते हुए कहा है कि संसाधन संपन्न समुद्री क्षेत्र का स्वामित्व सैकड़ों वर्षों से चीन का है।

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के संपादक हू शीजिन ने कहा कि अगर अमेरिका दक्षिण चीन सागर में युद्ध शुरू करता है, तो वह भारी कीमत चुकाएगा। चीनी स्टोएग ने ट्विटर पर कहा कि उन्‍हें जानकारी मिली है कि ट्रम्प सरकार दक्षिण चीन सागर में चीन के द्वीपों पर हमला करने का जोखिम उठा सकती है। अमेरिका इसoके लिए अपने MQ-9 रीपर ड्रोन की मदद ले सकती है।

अमेरिका को धमकी देते हुए हू शीजिन ने कहा, “अगर ऐसा होता है, तो पीएलए निश्चित रूप से मजबूती से लड़ेंगे और युद्ध शुरू करने वालों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।”

विस्तारवादी चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर का दावा करता है और इससे उसके पड़ोसी काफी खफा है। क्षेत्र में कृत्रिम द्वीपों पर सैन्य ठिकानों का निर्माण करने को लेकर चीन के खिलाफ अमेरिका ने मोर्चा संभाला हुआ है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। हाल के महीनों में अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में अपनी नौसैनिक उपस्थिति को बढ़ा दिया है।