भारत-रूस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दो दिनों की यात्रा पर दिल्ली पहुंच चुके हैं। पुतिन शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने वाले हैं। दोनों नेताओं की इस मुलाकात में कई अहम मुद्दों पर वार्ता होनी, लेकिन पूरे विश्व की निगाहें एस-400 (S-400) मिसाइल सौदे पर टिंकी हुईं हैं।
रूस ने पुतिन की हिंदुस्तान यात्रा प्रारम्भ होने से एक दिन पहले ही ये घोषणा कर दी है कि इस सौदे पर दस्तखत पुतिन की यात्रा का मुख्य उद्देश्य है। हिंदुस्तान के लिए ये सिस्टम कितना ज़रूरी है इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका की हर असहमति को दरकिनार कर दिया गया, जबकि इस समय हिंदुस्तान व अमेरिका के सैनिक संबंध लगातार मज़बूत हो रहे हैं।
चीन के लहजे से बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण
वहीं चाइना की हवाई ताक़त में जबरदस्त इज़ाफ़ा हुआ है। हाल ही में उसने तिब्बत में नए एयरबेस बनाए हैं व वहां फ़ाइटर जेट्स की स्थाई तैनाती प्रारम्भ कर दी है। चाइना की मिसाइल क्षमता भी बहुत असरदार है। यानि फ़िलहाल हिंदुस्तान की हवाई सुरक्षा खासी कमज़ोर हालत में है। हिंदुस्तान के लिए S-400 की डील की आवश्यक है, ताकि इंडियन वायुसेना की हवाई हमलों से बचाव की क्षमता को बढ़ाया जा सके।
क्या है एस 400 डील?
इस मिसाइल सिस्टम का पूरा नाम S-400 ट्रायम्फ है जिसे नाटो राष्ट्रों में SA-21 ग्रोलर के नाम से पुकारा जाता है। यह लंबी दूरी का जमीन से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम है जिसे रूस ने बनाया है। S-400 का सबसे पहले वर्ष 2007 में उपयोग हुआ था जो कि S-300 का अपडेटेड वर्जन है। वर्ष 2015 से भारत-रूस में इस मिसाइल सिस्टम की डील को लेकर बात चल रही है।
अमेरिका के थाड सिस्टम से बेहतर है S-400
कई राष्ट्र रूस से यह सिस्टम खरीदना चाहते हैं क्योंकि इसे अमेरिका के थाड (टर्मिनल हाई ऑल्टिट्यूड क्षेत्र डिफेंस) सिस्टम से बेहतर माना जाता है। इस एक मिसाइल सिस्टम में कई सिस्टम एकसाथ लगे होने के कारण इसकी सामरिक क्षमता बहुत ज्यादा मजबूत मानी जाती है। अलग-अलग कार्य करने वाले कई राडार, खुद निशाने को चिन्हित करने वाले एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम, लॉन्चर, कमांड व कंट्रोल सेंटर एक साथ होने के कारण S-400 की संसार में बहुत ज्यादा मांग है।
क्या है इसकी खासियत?
– भारत, रूस से लगभग 5.5 बिलियन अमेरिकी डॉतर क़ीमत में S-400 की पांच रेजीमेंट ख़रीद रहा है।
– हर रेजीमेंट में कुल 16 ट्रक होते हैं, जिनमें 2 लांचर के अतिरिक्त 14 रडार व कंट्रोल रूम के ट्रक्स होते हैं।
– S-400, 400 किमी की रेंज में आने वाले किसी भी फ़ाइटर एयरक्राफ्ट्स, मिसाइल या हेलीकॉप्टर को गिरा सकता है।
– इसे आदेश मिलने के 5 मिनट के भीतर तैनात किया जा सकता है औऱ ये एक साथ 80 टारगेट्स को निशाने पर ले सकता है।
– ये 600 किमी की दूरी से हर किस्म के टार्गेट का पीछा करना प्रारम्भ कर देता है।
– एक अंदाज़े के मुताबिक केवल 3 रेजीमेंट तैनात करके पाक की तरफ़ से किसी भी हवाई हमले से बेफिक्र हुआ जा सकता है।
– ये सिस्टम -70 डिग्री से लेकर 100 डिग्री तक के तापमान पर कार्य कर लेता है।
– इसकी मारक क्षमता रामवाण है क्योंकि यह एक साथ तीन दिशाओं में मिसाइल दाग सकता है।
– 400 किमी के रेंज में एक साथ कई लड़ाकू विमान, बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइल व ड्रोन पर यह हमला कर सकता है
क्यों जरुरी है एस 400 डील?
हिंदुस्तान के लिए ये सिस्टम कितना ज़रूरी है इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका की हर असहमति को दरकिनार कर दिया गया, जबकि इस समय हिंदुस्तानव अमेरिका के सैनिक संबंध लगातार मज़बूत हो रहे हैं। वायु सेनाध्यक्ष एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ ने बोला है कि S 400 के आने से किसी भी हवाई हमले से बचाव की क्षमता में जबरदस्त इज़ाफ़ा होगा।
भारतीय वायुसेना इस समय फ़ाइटर एयरक्राफ्ट की भारी कमी से जूझ रही है। यानि किसी हवाई हमले से निपटने की क्षमता में गंभीर कमी है। खासतौर पर चाइना की लगातार बढ़ती ताक़त व पाक के आक्रामक होते रुख को देखकर ये कमी व ज्यादा चिंताजनक हो जाती है।
एस-400 के संदर्भ में वायुसेना के मौजूदा शक्ति?
इंडियन वायुसेना को चाइना व पाक दोनों से निबटने के लिए 42 फ़ाइटर स्क्वाड्रन चाहिए। लेकिन इस समय वायुसेना के पास केवल 31 स्क्वाड्रन हैं। इनमें मिग-21, मिग-27, जगुआर वमिराज की बड़ी तादाद है जिन्हें चार दशक पहले खरीदा गया था। अगर मिग-29 व सुखोई-30 को छोड़ दिया जाए तो वायुसेना के फ़ाइटर जेट्स अपनी आयु पूरी कर चुके हैं।
राफेल की 2 स्क्वाड्रनों से ये कमी पूरी नहीं हो सकती। स्वदेशी तेजस विमानों के आने में भी अभी काफ़ी समय है व हल्का लड़ाकू विमान होने के कारण उसकी क्षमता सीमित है। वहीं चाइना की हवाई ताक़त में जबरदस्त इज़ाफ़ा हुआ है। हाल ही में उसने तिब्बत में नए एयरबेस बनाए हैं व वहां फ़ाइटर जेट्स की स्थाई तैनाती प्रारम्भ कर दी है। चाइना की मिसाइल क्षमता भी बहुत असरदार है। यानि फ़िलहाल हिंदुस्तान की हवाई सुरक्षा खासी कमज़ोर हालत में है।