अमावस्या तिथि को पितरों की विदाई, करें ये उपाय प्रसन्न होंगे पितर

8 अक्टूबर को पितृ विसर्जनी अमावस्या है। इसे सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जानते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को पितृ पक्ष का समापन होता है।

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इस बार सर्वपितृ अमावस्या दो दिन यानी सोमवार और मंगलवार को है। सोमवार आठ अक्टूबर को अमावस्या सुबह 10.47 बजे लग रही है जो नौ अक्टूबर को सुबह 9.10 बजे तक रहेगी। इस लिए 8 अक्टूबर सर्वपितृ अमावस्या मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि को ही पितरों की विदाई दी जाती है।

कैसे करें श्राद्ध, तर्पण-:

धार्मिक मान्यतों की माने तो जिस व्यक्ति की मृत्यु जिस तिथि को होती है, उसी तिथि में उसका श्राद्ध किया जाता है। वहीं कई लोगों को अपने पितरों की मृत्यु तिथि का पता नहीं होता है, ऐसे में वो अमावस्या को उनका श्राद्ध कर सकते हैं।

अमावस्या के दिन पिंड दान करना सबसे उत्तम माना गया है। अगर पिंड दान न करे सके तो इस दिन गंगा जी में स्नान कर पितरों का तर्पण करें। अगर यह संभव न हो तो किसी पीपल के पेड़ में तर्पण करें।

काली तिल, कुशा, जौ और जल लेकर अपना नाम, गोत्र का उच्चारण कर जल दें। ध्यान रहे पितरों को जल अंगुठे और तर्जनी यानी अंगुठे के बाद की अंगुली के बीच वाले भाग से जल दिया जाता है। जल देने के बाद पीपल के पेड़ के पास दीपक जलाएं। फिर इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं।