टिकरी बॉर्डर पर किसान ने ज़हर खाकर दी जान, अब क्या करेगी सरकार

किसान ने लिखा उसके पास देने को कुछ नहीं है, वह सिर्फ अपनी जान दे सकता है. पत्र में लिखा कि न किसान मान रहे ना सरकार. उसने किसान नेताओं के लिए लिखा कृषि कानून के पक्ष में ज्यादा लोग हो तो आंदोलन खत्म कर दें, और सरकार के लिए लिखा कि अगर विरोध में ज़्यादा किसान हों तो उन्हें रद्द कर दें. सुसाइड नोट के आखिर में उसने लिखा भारत की पहचान, मजबूत जवान, मेहनती किसान, ईमानदार इंसान.

 

पुलिस कमिश्नर (आउटर) ए कोन ने कहा कि किसान को संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसमें इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. मामले में सीआपीसी के तहत कानूनी कार्रवाई की जा रही है.

पिछले महीने पंजाब के एक वकील ने टिकरी बॉर्डर के कुछ किलोमीटर दूर ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली थी. एक सिख प्रीचर संत राम सिंह ने भी कथित तौर पर सिंघु बॉर्डर के नज़दीक सुसाइड कर ली थी.

दावा किया गया था कि वे किसानों की परेशानी से दुखी थे. पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान तीन कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दो महीने से ज़्यादा वक्त से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

कथित रूप से मिले सुसाइड नोट में राणा ने लिखा कि वह एक छोटा किसान है, कई किसान कृषि कानून के खिलाफ सड़कों पर विरोध कर रहे हैं. सरकार कहती है कि यह केवल दो से तीन राज्यों का मामला है, लेकिन देशभर के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.

किसानों और सरकार के बीच बातचीत को लेकर किसान ने लिखा अफसोस की बात यह है कि अब य कोई आंदोलन नहीं रहा बल्कि मुद्दों की लड़ाई है. किसानों और सरकार की इस बातचीत में गतिरोध बना हुआ है.

टिकरी बॉर्डर पर ज़हर खाने वाले किसान की देर रात अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई. मरने वाले किसान की पहचान हरियाणा के रोहतक जिले के पाकस्मा गांव के जय भगवान राणा (42) के रूप में हुई है.

किसान को संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बताया जा रहा है कि किसान ने जहर खाने के बाद खुद ही धरना स्थल पर मौजूद किसानों को इस बारे में जानकारी दी थी.