अभी – अभी किसानों और पुलिस के बीच हुई झड़प, जानिए अब क्या होगा आगे…

किसानों और सरकार के बीच अब तक 6 दौर की बाच-चीत हो गई है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. दरअसल किसान इन कानूनों में संशोधन नहीं बल्कि पूरे कानून को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं. वहीं सरकार का कहना है कि हम इस कानून को वापस नहीं लेंगे आपको जो समस्या आ रही हो हमें बताएं हम उसमें संशोधन कर देंगे.

किसानों के समर्थन में इस वक्त देश की ज्यादातर विपक्षी पार्टियां खड़ी हैं साथ ही उनके खाने-पीने और तमाम सुविधाओं का ख्याल भी कई सामाजिक संगठन रख रहे हैं जिससे किसानों को आंदोलन करने में किसी भी प्रकार के दिक्कतों का सामना न करना पड़े.

इस आंदोलन में अब तक 31 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं. प्रदर्शनकारियों ने इन सभी किसानों की मृत्यु का जिम्मेदार केंद्र सरकार को ठहराया है. किसानों ने अपनी जान गंवाने वाले साथियों को शहीद का दर्जा दिया है. किसानों ने कहा कि हमें दुख है कि हमारे भाई आज हमारे बीच नहीं है पर यह सब के सब शहीद हुए हैं.

गाजीपुर बॉर्डर पर 11 बजे से लेकर 1 बजे तक यह श्रद्धांजलि सभा रखी गई. बॉर्डर पर मौजूद सभी किसानों ने बहुत भावुक मन से अपने आंदोलन के साथियों को श्रद्धांजलि अर्पित की है. किसान संगठनों का दावा है कि इन सभी किसानों की मृत्यु बीमारी, ठंड और दुर्घटनाओं के कारण हुई है. किसानों ने कहा कि हम अपने साथियों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने देंगे. सरकार को हमारी मांगें माननी होंगी.

नए कृषि कानूनों के विरोध चल रहे प्रदर्शन (Farmers Protest) का आज 25वां दिन है. फिलहाल कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है. दूसरी तरफ आज किसान इस आंदोलन के दौरान किसी ना किसी वजह से जान गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं.

बीते 25 दिनों से किसान केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली से सटे बॉर्डरों पर डटे हुए हैं. इस आंदोलन में हर उम्र हर तबके का किसान शामिल है.

यहां तक कि बुजुर्ग महिलाओं ने भी इस आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है. हालांकि, आंदोलन के दौरान कई किसानों की जान भी चली गई. जान गंवाने वाले किसानों के लिए दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया.