गया वो वक्त जब कार बेचते वक्त सिर्फ चंद दस्तावेजों पर दस्तखत करने से चिंता मुक्त हुआ जाता था. अब कार ट्रांसफर करना है तो आपको व्यक्तिगत डेटा भी इससे हटाना होगा क्योंकि आपकी कार सब जानती है कि आपका घर कहां है, आपकी कॉन्टैक्ट लिस्ट में कितने नंबर है व कौन-सी ऐप आप सबसे ज्यादा प्रयोगकरते है. इस डेटा को हटाने के लिए यह करें
नई कार में बैठते ही सबसे पहला कार्य आजकल यह होता है कि फोन सिंक किया जाता है. ऐसा कर आप कार को कॉन्टैक्ट नेम्स, नंबर्स व कुछ मामलो में टेक्स्ट मैसेज तक पहुंचने की इजाजत देते हैं. ऐसा करने में बुराई नहीं है क्योंकि हैंड्स फ्री जैसे फीचर के उपयोग से कार की ड्राइव बहुत ज्यादा सुविधाजनक हो जाती है. कार बेचते वक्त यह पक्का कर लें कि आपका फोन इससे पूरी तरह डिसकनेक्ट हो गया है या नहीं. हर कार के मुद्दे में यह अलग ढंग से होगा, लेकिन यह इतना कठिन नहीं है. नए जमाने की कारों में हर बात की जानकारी दी जाती है, उपभोक्ता मैन्युअल जरूर पढ़ें व फोन की सेटिंग्स से भी कार को ब्लॉक करें.
मैप्स व एड्रेस हटाना लोग अक्सर भूल जाते हैं. आपकी कार के नेविगेशन सिस्टम को सब पता है कि आप अक्सर किन जगहों पर जाते हैं व कार कहां पार्क की जाती है. आपका ऑफिस, बच्चों का स्कूल, घर इसे सब पता है. इस डेटा को हटाने से आप तो निश्चिंत हो ही सकते हैं, नए उपभोक्ता को भी कठिनाई से बचा सकते हैं. नेविगेशन सिस्टम की इंफो सेटिंग्स से इस डेटा को साफ किया जा सकता है. भले ही आपने इन्हें यहां से हटा दिया हो लेकिन मेमोरी में यह रह जाते हैं, कार के उपभोक्ता मैन्युअल को पढ़कर इसे मेमोरी से हटाएं.
कोई भी प्रायवेट लॉगइन या व्यक्तिगत डेटा जो किसी मोबाइल ऐप पर जमा हुआ है, यह कार से भी कनेक्टेड होने कि सम्भावना है. उदाहरण के लिए कार मेकर्स एक इंटरनल मोबाइल ऐप देने लगे हैं जिससे कार के फंक्शन भी कंट्रोल होते हैं, कार लोकेट भी हो सकती है. इस ऐप पर आपकी व्यक्तिगत जानकारियां होती हैं. आपको कार बेचते वक्त यह ऐप कार से भी हटा देना चाहिए.
किसी तरह के डिजिटल कंटेट को सब्सक्राइब कर रखा है तो उसे नए अकाउंट पर ट्रांसफर करवाना भी अक्सर याद नहीं रहता. कार बेचने के बाद उसका नया मालिक इस कंटेंट को एक्सेस नहीं कर पाता व ना ही आप.
कार ओनर्स की मदद के लिए ‘प्रायवेसी4कार’ जैसी ऐप भी हाजिर हैं. इनकी मदद से कार में उपस्थित सारी व्यक्तिगत जानकारियां हटाई जा सकती हैं.