अनुसूचित जाति की युवती से दुष्कर्म मामले में दोषी करार मैरिज ब्यूरो संचालक को मिली ऐसी सजा

जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजीव खुल्बे की कोर्ट ने अनुसूचित जाति की युवती से दुष्कर्म मामले में दोषी करार मैरिज ब्यूरो संचालक को दस साल सश्रम कारावास व पांच हजार जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना अदा न करने पर दो माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट में भी दोषी करार देते हुए दो साल कैद व दो हजार जुर्माने की सजा सुनाई है। कोर्ट के फैसले के बाद जमानत पर रह रहे दोषी को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया।

अल्मोड़ा जिले की पीडि़ता ने 24 जून 2016 को बिंद्रावासिनी मैरिज ब्यूरो में पंजीकरण कराया था। एक साल तक मैरिज ब्यूरो से रिश्ता नहीं आने पर पीडि़ता बिंद्रावासिनी मैरिज ब्यूरो के मालिक अरुण तिवारी पुत्र गोपाल तिवारी निवासी मल्ला हिम्मतपुर हरिपुर नायक कुसुमखेड़ा हल्द्वानी के मोबाइल पर संपर्क साधा। तिवारी द्वारा हल्द्वानी क्षेत्र में रिश्ता तलाशने के लिए मुलाकात करने के लिए हल्द्वानी बुलाया। 18 जून 2017 को पीडि़ता मैरिज ब्यूरो के कार्यालय पहुंची।

एक युवक की फोटो दिखाई जो बहुत काला था तो उसने मना कर दिया। इसके बाद वह मौसी के घर चली गई। अगले दिन अरुण का फोन आया तो वह ऑफिस के बजाय रेस्टोरेंट में ले गया। इसी बीच दोनों में नजदीकियां बढ़ी तो चार दिसंबर को अरुण ने खुद के जन्मदिन पर उसे बुलाया। मौसी के घर जाने लगी तो उसने घर का गेट बंद होने के बहाने रोक लिया और रात में जबरन दुराचार किया।

सुबह पांच बजे मारपीट कर घर से निकाल दिया। जब रोने लगी तो उसने शादी का झांसा दिया और अल्मोड़ा की गाड़ी में बैठा दिया। फिर शादी से इन्कार कर दिया। पीडि़ता की तहरीर पर यह मामला अल्मोड़ा से हल्द्वानी ट्रांसफर किया गया। डीजीसी फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने आरोप साबित करने के लिए आठ गवाह पेश किए। अभियोजन व बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने इस मामले में मैरिज ब्यूरो संचालक को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।