अखिलेश यादव करने जा रहे ये काम, चाचा शिवपाल यादव के साथ…

राजनीतिक पंडितों की मानें तो 2017 के विधानसभा चुनाव में यादव परिवार की फूट के कारण उन्हें अच्छा खासा नुकसान उठाना पड़ा था. पिछले चुनाव में सपा को महज 50 सीटों पर संतोष करना पड़ा था. तभी से पार्टी को अहसास हो गया था .

यह फूट उनके सियासी वजूद के लिए खतरा बन रही है. नुकसान की भरपाई करने के लिए अखिलेश ने लोकसभा चुनाव में अपनी धुर विरोधी पार्टी बसपा से गठबंधन कर शिवपाल से हुए नुकसान को भरने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. इसी कारण अखिलेश अब परिवार को एक करने में लग गये हैं.

दरअसल, यादव परिवार में फूट के बाद सपा को लगातर नुकसान हुआ है. वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी का जो विजय रथ चल रहा है उसे रोक पाने के लिए अखिलेश को शिवपाल को अपने पाले में लाना जरूरी है. उनकी पार्टी में नौजवान भले हों, लेकिन अभी शिवपाल जैसे अनुभव वाले नेताओं की कमी साफ झलकती है.

उपचुनाव के नतीजों ने विपक्षी दलों को अपने भविष्य की चिंता भी सता रही है. यही कारण है कि बसपा प्रमुख मायावती ने प्रदेश अध्यक्ष बदलकर अतिपिछड़े को जगह दी है. अखिलेश भी अपने परंपरागत वोटों को बचाने का दांव चल रहे हैं.

यूपी में हुए विधानसभा उपचुनाव में मिली हार के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सबक लिया है. यही वजह है कि अब अखिलेश अपने मूल वोटबैंक वापस लाने की कोशिश में जुट गये हैं.

हाल ही में अखिलेश ने एक पीसी में कहा था कि अगर सपा की सरकार बनती है तो चाचा शिवपाल को कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा. अखिलेश की यह पहल परिवार को एक कर अपने मूल वोटबैंक को वापस लाने की ओर संकेत दे रही है.