अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते पर अमरीका के साथ बढ़ते तनाव के बीच ईरान ने दिया ये बयान

अमरीका के साथ बढ़ते तनाव के बीच ईरान ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते से आंशिक रूप से खुद को अलग कर लिया है। यह जानकारी बुधवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।उल्लेखनीय है कि साल 2015 में परमाणु कार्यक्रम पर नियंत्रण के बदले प्रतिबंधों में ढील दिए जाने को लेकर यह अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौता हुआ था,

लेकिन एक साल पहले अमरीका ने इस समझौते से खुद को अलग कर लिया था। समाचार एजेंसी ईरना की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि अन्य महाशक्तियां अभी भी इस समझौते को लेकर प्रतिबद्ध हैं। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि ईरान किन वादों से पीछे हट रहा है।

विदित हो कि जब से अमरीका ने खुद को इस समझौते से अलग किया है, दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। ट्रंप प्रशासन ने ईरान के तेल और वित्तीय क्षेत्र पर नए प्रतिबंध लगा दिए हैं जिससे उसकी अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई है। दरअसल अमेरिका का मकसद परमाणु मुद्दे ईरान के साथ अलग से समझौता करने के लिए उस पर दबाव बनाना है।

दोनों देशों के बीच बढ़ते तनावों के बीच अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने इराक़ का औचक दौरा किया है।वह अपनी बर्लिन यात्रा को रद्द कर इराक की राजधानी बग़दाद में चार घंटे रुके और वहां इराकी नेताओं के साथ बैठक की। इससे पहले अमरीका ने इस इलाक़े में अपना विमानवाहक युद्धपोत यूएसएस अब्राहम लिंकन तैनात किया था।अधिकारियों का कहना है कि यह अमरीकी बलों और ईरान से उसके सहयोगियों काे होने वाले खतरे का जवाब है। इतना ही नहीं यह भी पता चला है कि अमरीका बी-52 हमलावरों को इस क्षेत्र में भेज रहा है।

हालांकि पोम्पियो ने अपने इराक दौरे के बारे में बहुत कम जानकारी दी, लेकिन संवाददाताओं से बताया कि यह दौरा ईरान से जुड़ा है। इस बीच पेंटागन के प्रवक्ता चार्ल्स समर्स ने एक बयान में कहा, ” अमरीका ईरानी शासन के साथ युद्ध नहीं चाहता है, लेकिन हम अमरीकी कर्मियों, हमारे सहयोगियों और इस क्षेत्र में हमारे हितों की रक्षा करेंगे। उन्होंने कहा, “यूएसएस अब्राहम लिंकन कैरियर स्ट्राइक ग्रुप और एक बॉम्बर टास्क फोर्स की तैनाती को अमरीकी बलों और हमारे हितों के खििलाफ आक्रामक हो रही ईरानी कोशिशों का जवाब है।”