
दिल्ली में शुक्रवार की देर शाम अमर उजाला से बात करते हुए हिंदू नेता तोगड़िया ने बोला कि नरेंद्र मोदी की गवर्नमेंट बनने के बाद सबको यह उम्मीद थी कि अब संसद में कानून बनाकर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण किया जायेगा. लेकिन समय बीतने लगा व इस मुद्दे पर कोई पहल नहीं होती दिखी तब उन्होंने इस मुद्दे को उठाना प्रारम्भ किया.
तोगड़िया ने बोला कि वे अपने साथ आठ-दस प्रमुख लोगों को साथ लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत से मिले थे. भागवत ने उन्हें इस बात का आश्वासन दिया था कि इसी संसद में कानून बनाकर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होगा, लेकिन उन्हें कुछ दिन धैर्य रखने के लिए बोला गया. तोगड़िया के मुताबिक बाद में सभी इस मुद्दे पर बदल गये व राम मंदिर के निर्माण के लिए न्यायालय की बात मानने की बात कही जाने लगी.
तोगड़िया ने बोला कि राममंदिर का मुद्दा तो 1950 से ही अदालतों के चक्कर काट रहा है. अगर न्यायालय की बात ही माननी थी तो राम मंदिर आंदोलन में सैकड़ों लोगों की बलि क्यों चढ़ाई गई? चुनावी भाषणों में बार-बार यह क्यों बोला गया कि राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाना चाहिए व कानून बनाने के लिए गवर्नमेंट बदलनी चाहिए. आज जब हिंदू जनता ने आपके हाथ में गवर्नमेंट सौंप दी है तब आप अपने वायदे से मुकर क्यों रहे हैं? क्या यह उस हिंदू जनता के साथ विश्वासघात नहीं है?
मैं नहीं बदलता, इसीलिए मुझे बदल दिया गया
फायरब्रांड हिंदू नेता प्रवीण तोगड़िया ने बोला कि समय के साथ विचारधारा में परिवर्तन की बात मैंने सुनी थी, लेकिन सत्ता के साथ विचारधारा में परिवर्तन होते हमने पहली बार देखा.उनके मुताबिक चूंकि राम मंदिर के मुद्दे पर वे अपने स्टैंड से अलग होने को तैयार नहीं थे, इसी कारण से उन्हें बदल दिया गया.
21 अक्टूबर को अयोध्या कूच की तैयारी
तोगड़िया के मुताबिक, इस गवर्नमेंट को उसका जनता से किया वायदा याद दिलाने के लिए वे आगामी 21 अक्टूबर को लखनऊ से अयोध्या के लिए मार्च करेंगे. उन्होंने बोला कि यह प्रदर्शन पूर्णतः अहिंसक होगा. इस प्रदर्शन में लाखों लोग शामिल होंगे.