राफेल डील पर मीडियापार्ट के खुलासे

फ्रेंच एविएशन कंपनी दसॉ ने राफेल डील में रिलायंस को ऑफसेट पार्टनर चुनने संबंधी फ्रेंच मीडिया मीडियापार्ट की रिपोर्ट पर सफाई दी है. अपनी सफाई में दसॉ ने कहा है कि कंपनी ने “स्वतंत्र” रूप से भारतीय कंपनी रिलायंस के साथ मिलकर दसॉ रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (DRAL) बनाया था. इस कंपनी को राफेल एयरक्राफ्ट और फाल्कॉन 2000 बिजनेस जेट के लिए पार्ट बनाने थे.

Image result for राफेल डील पर मीडियापार्ट के खुलासे

दसॉ ने अपने बयान में पुष्टि करते हुए कहा है, ‘भारत और फ्रांस के बीच हुए समझौते के तहत सितंबर 2016 तक भारत को 36 राफेल एयरक्राफ्ट बेचे गए थे.’ फ्रेंच एविएशन कंपनी दसॉ ने साफ किया कि उसने रिलायंस ग्रुप को अपनी मर्जी से ऑफसेट पार्टनर चुना था.

मीडियापार्ट ने अपनी रिपोर्ट में किया था ये दावा

फ्रेंच न्यूजपेपर मीडियापार्ट ने अपनी खोजी रिपोर्ट में दावा किया गया था कि दसॉ ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस से पार्टनरशिप दिखाकर राफेल डील हासिल की थी. कंपनी के दस्तावेजों के मुताबिक, राफेल कॉन्‍ट्रैक्ट हासिल करने के लिए उसे अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस से पार्टनरशिप दिखानी पड़ी थी. कंपनी ने भारतीय बाजार में घुसने के लिए यह कदम उठाया था.

मीडियापार्ट के पास जो दस्तावेज हैं, वो बताते हैं कि दसॉ ने रिलायंस को अपना समकक्ष माना और उसके साथ गठबंधन को भारतीय मार्केट में घुसने के लिए अनिवार्य रास्ते के तौर पर लिया.

रिलायंस को स्वतंत्र रूप से चुना ऑफसेट पार्टनरः दसॉ

कंपनी ने कहा है कि उसने भारतीय नियमों और ऐसे सौदों की परंपरा के अनुसार किसी भारतीय कंपनी को ऑफसेट पार्टनर चुनने का वादा किया था. इसके लिए कंपनी ने जॉइंट-वेंचर बनाने का फैसला किया. दसॉ कंपनी ने कहा है कि उसने रिलायंस ग्रुप को अपनी मर्जी से ऑफसेट पार्टनर चुना था.

DRAL प्लांट की आधारशिला नागपुर में 27 अक्टूबर 2017 को रखी गई थी. यह प्लांट फाल्कॉन 2000 बिजनेस जेट के लिए पार्ट बनाएगा. इन्हें 2018 के आखिर तक बना लिया जाएगा. इसके बाद अगले चरण में राफेल एयरक्राफ्ट के पार्ट बनाएगा.