कुछ स्थान घाटों पर सफाई व्यवस्था देखने को मिली, लेकिन कुदेशिया घाट पर दशा सबसे ज्यादा बेकार मिले. यहां मूर्तियां पानी के ऊपर तैरती मिलीं. पॉलिथीन का ढेर व फूलों की सड़न साफ दिखाई दे रही थी. दिल्ली नगर निगम की मानें तो शनिवार प्रातः काल से ही घाटों की सफाई का काम प्रारम्भ कर दिया गया है. निगम का ये भी कहना है कि रविवार को भी ये सफाई का कार्य जारी रहेगा.
दरअसल, दिल्ली में कुदेशिया के अतिरिक्त गीता, राम व कालिंदी कुंज चार बड़े घाट माने जाते हैं. यहां मूर्ति विसर्जन को लेकर हर बार बुरे दशा देखने को मिलते हैं. साल 2017 में गणेश विसर्जन के बाद एनजीटी ने घाटों की सफाई व यमुना को लेकर कठोर आदेश दिए थे. बावजूद इसके सरकारी तंत्र की सुस्ती व लोगों की लापरवाही यमुना के प्रदूषण को व ज्यादा बढ़ावा दे रही है.
साल 2015 में एनजीटी पीओपी निर्मित मूर्तियों पर भी प्रतिबंध लगा चुका चुका है. बावजूद इसके शनिवार को यमुना में तैरती दिखीं मूर्तियां इन आदेशों की धज्जियां उड़ाने की गवाह बनी.सूत्रों की मानें तो न्यायालय के आदेश को लेकर जमीनी स्तर पर सख्ती दिखाने में सरकारी महकमा लापरवाह है, जिसका खामियाजा इस तरह देखने को मिल रहा है.
शनिवार को दशहरा और नवरात्र पूजा का सामान लोग यमुना में बहाते नजर आए. मना करने के बावजूद लोगों ने पूजा सामग्री यमुना में बहाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. यमुना किनारे तैनात गार्डों के मना करने पर कुछ लोग तो लड़ने पर भी उतारू हो गए. उनका कहना था कि पूजा सामग्री को आखिर वे कहां डालें.