ब्रिटेन के शिक्षाविदों ने एक नयी रिपोर्ट में राष्ट्र के विश्वविद्यालयों में इतिहास पाठ्यक्रम व अनुप्रयोगों में नस्लीय व जातीय असमानताओं तथा भेदभाव को लेकर राष्ट्र की गवर्नमेंटको आगाह किया है। ब्रिटेन की ‘रॉयल हिस्टॉरिकल सोसाइटी’ की इस रिपोर्ट में विश्वविद्यालय के इतिहास के पाठ्यक्रम में ब्लैक एंड माइनॉरिटी एथनिक (बीएमई) (अश्वेत व अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले छात्र) विद्यार्थियों व कर्मचारियों की संख्या कम होने तथा उनके साथ नस्ल-आधारित पक्षपात व भेदभाव की बात सामने आयी है। बीएमई इतिहासकारों ने ब्रिटेन के कई विश्वविद्यालयों में इसका अनुभव किया।
‘रेस, एथनिसिटी एंड इक्वालिटी’ नामक इस रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन में शिक्षण संस्थानों में इतिहास एक लोकप्रिय विषय रहा है लेकिन साक्ष्यों से पता चलता है कि बीएमई विद्यार्थी कुलीन समुदाय के विद्यार्थियों की तुलना में परीक्षाओं व विश्वविद्यालय के अनुप्रयोगों में इतिहास विषय को कम चुनते हैं।
विश्वविद्यालयों के अन्य संकाय की तुलना में इतिहास संकाय में विद्यार्थी समूह की विविधता बहुत ही कम होती है, विश्विद्यालय के पूरे इतिहास संकाय में केवल 11 फीसदी विद्यार्थी ही बीएमई पृष्ठभूमि से आते हैं। शिक्षाविद समुदाय की 150 वीं वर्षगांठ पर आयोजित प्रोग्राम के तहत एक साल के शोध व विश्वविद्यालय के 700 से अधिक इतिहासकारों के सर्वेक्षण के आधार पर तैयार किया गया है।