प्रताप सिंह राणे के साहबजादे हैं विश्वजीत राणे 

सियासी गलियारों में इन दिनों कांग्रेस पार्टी से बीजेपी में आए भाजपा नेता  गोवा गवर्नमेंट में मंत्री विश्वजीत प्रताप राणे के नाम के चर्चे चल रहे हैं. माना जा रहा है कि जिन दो कांग्रेसी विधायकों ने बीजेपी का दामन थामा है, उन्हे लुभाने में राणे की बड़ी किरदार रही है. कांग्रेसी विधायकों के कांग्रेस पार्टी में शामिल हो जाने के बाद विधानसभा की तस्वीर ही बदल गई है.
Image result for कांग्रेसी विधायकों को लुभाने के पीछे देखा जा रहा है गोवा के मंत्री राणे का हाथ

बताया जा रहा है कि कांग्रेसी विधायक सुभाष शिरोडकर  दयानंद सोपते के मंगलवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिलने से पहले ही राणे दिल्ली आ पहुंचे थे. इसके बाद शिरोडकर  सोपते ने विधानसभा से त्याग पत्र दे दिया. अब विधानसभा में भाजपा  कांग्रेस पार्टी के सदस्यों की संख्या बराबर हो गई है. राणे पर हमला करते हुए विपक्ष के नेता चंद्रकांत कावलेकर ने बोला कि जनता उन्हे सबक सिखाएगी.

मंगलवार को कांग्रेस पार्टी ने यह भा दावा किया कि राणे खुद को गोवा के CM मनोहर परिकर का उत्तराधिकारी दिखाने की प्रयास कर रहे हैं. हालांकि इस बात से भाजपा ने मना किया है लेकिन इस तरह के दिखावे  कयासबाजी से पार्टी में हलचल होना स्वाभाविक है. अपना नाम न बताने की शर्त पर  बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने बोला कि अगर राणे को CM बनाया जाता है तो वे पार्टी को कुछ ही वर्षों में पूरी तरह से समाप्त कर डालेंगे.

प्रताप सिंह राणे के साहबजादे हैं विश्वजीत राणे 

आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि विश्वजीत राणे गोवा के पूर्व CM  राज्य में सबसे ज्यादा बार चुने गए विधायक की हैसियत रखने वाले प्रताप सिंह राणे के साहबजादे हैं. विश्वजीत पहली बार 2007 में आजाद उम्मीदवार के तौर पर विधानसभा पहुंचे थे. वे दिगंबर कामत वाली कांग्रेस पार्टी की साझेदारी गवर्नमेंट में सेहत मंत्री भी रहे.

2017 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन वह गवर्नमेंट नहीं बना सकी. उस समय सबसे पहले बगावत का बिगुल राणे ने ही बजाया था. तब उन्होंने कांग्रेस पार्टी के पर्यवेक्षक दिग्विजय सिंह पर दशा की जिम्मेदारी ठहराई थी. उनका यह भी कहना था कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता ने उनकी बात ही नहीं सुनी.

बताते चलें कि राणे, परिकर के विश्वास प्रस्ताव में शामिल होने से भी खुद को बचा गए थे  उसके एक हफ्ते बाद ही उन्होंने त्याग पत्र दे दिया था. वे भाजपा के टिकट पर दोबारा चुने गए परिकर गवर्नमेंट में बतौर सेहत मंत्री शामिल हुए. परिकर की बीमारी के दौरान भी राणे ने मौन साधे रखा.