आपने हिंदी फिल्म का वो गाना तो सुना होगा, ‘जो तुमको हो पसंद वो बात करेंगे’… आलोचकों को कुछ ऐसा चाहिए लेकिन धोनी अपनी बल्लेबाजी स्टाइल से ये जताते हैं कि, ‘हम तो ऐसे ही हैं भइया.’ धोनी ने अपने इसी मिजाज के साथ ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की जीत की स्क्रिप्ट भी लिखी. आईए इस पूरे माजरे को अब जरा समझते हैं.
सवाल है कि धोनी के आलोचकों को क्या नहीं भाता. उन्हें नहीं पसंद आता है धोनी का धीमा खेलना. मैच को खींचकर लास्ट ओवर तक ले जाना. उनके आलोचकों के मुताबिक बल्लेबाजी में धोनी के कछुए की चाल दूसरे बल्लेबाजों पर एकस्ट्रा प्रेशर डालती है. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मौजूदा वनडे सीरीज में भी ऐसा दिखा, जहां आरोप मढ़ने वालों वालों के मुताबिक दूसरे वनडे में दिनेश कार्तिक और तीसरे वनडे में केदार जाधव को धोनी के कोटे के भी रन बनाने पड़े. उंगलियां उठाने वाले इतने पर ही नहीं रूके. उन्होंने बल्लेबाजी के दौरान धोनी के स्ट्राइक रोटेशन पर भी सवाल खड़े किए.
सवाल उठे तो विराट डटे
हालांकि, धोनी को लेकर सवाल खड़े करने वाले ये भूल गए कि रेस में कछुआ ही जीतता है और यहां भी धोनी ही जीते हैं. उनका धीमा खेलना या फिर लास्ट ओवर तक मैच को ले जाना जिन्हें उनकी कमजोर कड़ी नजर आती है दरअसल वो उनकी सोची-समझी चाल होती है. ये धोनी का ही असर होता है कि दूसरेे छोर पर बाकी बल्लेबाजों के पास खुलकर अपने शॉट्स खेलने की आजादी होती है. क्योंकि, उन्हें इसका इल्म होता है कि अगर वो आउट भी हो गए तो संभालने के लिए धोनी भाई का अनुभव है. धोनी की ही तरह स्ट्रेटजी 1992 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में पाकिस्तान के कप्तान इमरान खान और जावेद मियांदाद ने आजमाई थी. तब इन दोनों ने बारी बारी से एक छोर संभाले रखा था और दूसरे छोर से इंजमाम ने मैच फीनिश किया था. इस स्ट्रेटजी में रिस्क बेशक है पर ये काम करता है. और, अगर फिर भी यकीन न हो, धोनी के कमिटमेंट को लेकर कोई शक हो तो टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली की जुबानी ही पूरी कहानी सुन लीजिए.
… और कितना दौड़ेंगे धोनी?
अब आते हैं उस सवाल पर जिसके मुताबिक धोनी बल्लेबाजी के दौरान स्ट्राइक रोटेट नहीं करते. तो, उनके लिए ज्यादा पीछे जाने की जरुरत नहीं. मेलबर्न में खेला ताजा वनडे ही सबसे बड़ा उदाहरण है. धोनी ने मेलबर्न वनडे में 114 गेंदों का सामना करते हुए 87 रन बनाए. इन 87 रनों की पारी में धोनी ने अपने 72% रन दौड़कर यानी क्रीज के छोर को बदलकर बनाए हैं. साफ है क्रिकेट को लेकर धोनी की समझ को आंकना बेहद मुश्किल है. ऐसे में वो सिर्फ दिल में ही उतर सकते हैं.