
सही पाई गई थीं 191 शिकायतें
दरअसल, भ्रामक विज्ञापनों के विरूद्ध इंडियन एडवरटाईजमेंट मानक परिषद (एएससीआई) के पास बड़ी संख्या में शिकायतें मिली हैं. इनमें 35 प्रतिशत शिकायतें टेलीविजन, 15 प्रतिशत डिजिटल प्लेटफॉर्म व शेष अन्य पर प्रसारित/प्रकाशित भ्रामक विज्ञापनों की हैं. एएससीआई ने मार्च, 2018 में जारी रिपोर्ट में भ्रामक विज्ञापनों के विरूद्ध 191 शिकायतों को सही ठहराया था. उपभोक्ता शिकायत परिषद से उसे करीब 269 शिकायतें मिली थीं. इनमें सर्वाधिक 114 शिकायतें सेहत देखभाल क्षेत्र, 24 शिक्षा, 35 खाद्य एवं पेय पदार्थ, व्यक्तिगतसुरक्षा के सात व 11 शिकायतें अन्य एरिया की थीं.
नए कानून में होगा अधिक सख्त सजा का प्रावधान
उपभोक्ता संरक्षण विधेयक-2018 में भ्रामक एडवरटाईजमेंट पर पहली बार 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. दोबारा ऐसा होने पर 50 लाख रुपये तक का जुर्माना व दो से पांच वर्ष तक की सजा का प्रावधान है. हाल ही में अभिनेत्री व सांसद हेमा मालिनी द्वारा किए गए केंट आरओ के एडवरटाईजमेंट का मामला दिल्ली न्यायालय पहुंचा है. लेकिन इसमें सीधे तौर पर पक्षकार नहीं होने के बावजूद मंत्रालय ने हलफनामा दाखिल किया है. इस एडवरटाईजमेंट के वाक्य में ‘सबसे शुद्ध’ शब्द का प्रयोग किया गया है. कंपनी ने भी एएससीआई द्वारा भेजे गए नोटिस के विरूद्ध याचिका दायर की है. वहीं, मंत्रालय के एक ऑफिसर का कहना है कि सबसे शुद्ध या बेहतर होने जैसे दावे भ्रामक हैं या नहीं, यह न्यायालय तय करेगा. लेकिन त्योहारी सीजन में मंत्रालय की ओर से ऐसे तमाम विज्ञापनों के विरूद्ध आने वाले शिकायतों पर कदम उठाया जाएगा. वह चाहे किसी भी माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जा रहा हो.