जब सुरों की देवी लता मंगेशकर के 89 वें जन्मदिन पर जानिए उनकी ज़िंदगी के बारे में

 दिमाग में सबसे पहले जिस चेहरे की छवि बनती है वो हैं हमारी स्वर कोकिला लता मंगेशकर भारतीय सिनेमा का आज जो रूप है  यहां की फिल्मों में गानों की जो मुख्य किरदार है उसमें लता मंगेशकर का जो सहयोग है उसे कौन नकार सकता है भारतीय क्लासिकल हो या कैबरे सॉग या फिर गम में डूबी किसी नायिका का दर्द, सभी कुछ लता दीदी की आवाज में पूरी तरह ढल जाता है इसलिए अगर आज उन्हेें हम सुरों की देवी का साक्षात रूप कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सुरों की देवी को जान से मारने की साजिश भी हो चुकी है जी हां 33 वर्ष की आयु में लता ने इस विश्वासघात को झेला था आइए जानते हैं अपनी सुरों की जादूगरी करने वाली लता मंगेशकर के 89 वें जन्मदिन पर उनके ज़िंदगी के बारे में कुछ ऐसी ही खास बातें

पिता ही रहे पहले गुरू
अपनी मधुर आवाज से पिछले कई दशक से संगीत के खजाने में नये मोती भरने वाली लताको इंदौर में मशहूर संगीतकार दीनानाथ मंगेशकर के यहां पैदा हुईं दीनानाथ मंगेशकर भी संगीत के बड़े जानकार  थिएटर आर्टिस्ट थे, इसलिए उन्होंने अपनी बेटी को भी बोलना सीखने की आयु में गाने की एजुकेशन देना प्रारम्भ कर दी लेकिन वह भी नहीं जानते थे कि यह कार्य करके वह अपनी बेटी का नहीं पूरे इंडियन संगीत का भविष्य गढ़ रहे हैं

लता मंगेशकर तीन बहनों मीना मंगेशकर, आशा भोसले, उषा मंगेशकर  एक भाई ह्रदयनाथ मंगेशकर में सबसे बड़ी हैं उनके बचपन का नाम हेमा था लेकिन एक दिन थियेटर कैरेक्टर ‘लतिका’ के नाम पर उनका नाम लता रखा गया

कम ही लोग जानते हैं कि लता मंगेशकर को उनके करियर की ऊंचाईयों पर पहुंचा देख कोई इतना भी जल उठा था कि उन्हें जान से मारने की प्रयास तक करने से बाज नहीं आया1962 में जब लता मंगेशकर 33 वर्ष की थीं तो उन्हें धीमा जहर दिया गया था लेखिका पद्मा सचदेव ने अपनी किताब ‘ऐसा कहां से लाऊं’ में इस बात को विस्तार से लिखती हैं पद्मा सचदेव ने अपनी किताब में लिखा कि ‘लता जी जब 33 वर्ष की थीं तो उन्होंने मुझे ये बात बताई थी एक दिन प्रातः काल उनके पेट में तेज दर्द होने लगा थोड़ी देर में उन्हें दो-तीन बार उल्टियां हुईं जिसमें हरे रंग की कोई वस्तु थी उन्होंने बताया कि वो बिल्कुल चलने की हालत में नहीं हैं उनके पूरे बॉडी में तेज दर्ज होने लगा ‘

पद्मा सचदेव ने आगे लिखा कि ‘इस स्लो प्वॉइजन की वजह से हो गई थीं उन्होंने तीन महीने तक बेड रेस्ट किया  कोई गाना नहीं गा पाईं उनकी आंतों में दर्द रहता था खाने में भी बेहद सावधानी बरतनी पड़ती थी उन दिनों लता मंगेशकर केवल ठंडा सूप ही लेती थीं ‘

नहीं लगा पता कि किसने दिया जहर
लता मंगेशकर को जहर देने वाले का नाम आज भी रहस्य ही है, लेकिन बताया जाता है कि उस घटना के बाद से लता जी का कुक फरार हो गया था, जिसके बाद वो कभी अपना बाकी बचा वेतन लेने भी नहीं आया उस कुक ने लता मंगेशकर के पहले भी कई घरों में कार्य किया था