चुनाव से पहले मोदी सरकार ने खेला ये बड़ा दांव…?

लोकसभा चुनावों से पहले मोदी सरकार आम जनता को रिझाने में लगी है। वहीं केंद्र सरकार बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने पर विचार कर रही है। वर्तमान में आरटीई के तहत छह से 14 साल तक यानी पहली से आठवीं तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का प्रावधान है, सरकार अब इसे बढ़ाकर 12वीं तक कर सकती है।


मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस संबंध में शिक्षा कार्यकर्ता अशोक अग्रवाल को पत्र लिखा है। इसमें लिखा है, मंत्रालय शिक्षा के अधिकार (आरटीई) एक्ट, 2009 के तहत बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा को 12वीं तक बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। प्रस्ताव पर गहन अध्ययन के बाद इस संबंध में कोई फैसला लिया जा सकता है। इस एक्ट के तहत प्राइवेट स्कूलों के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित रखना अनिवार्य है। बता दें कि इसी महीने केंद्र सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया है।

ऐसे में 12वीं तक मुफ्त शिक्षा देने का केंद्र सरकार का फैसला गरीब वर्ग के वोटरों को रिझाने के दूसरे बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है। नवंबर में दिल्ली हाईकोर्ट में वकील अशोक अग्रवाल ने ऑल इंडिया पेरेंट्स असोसिएशन की तरफ से मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखा था कि 8वीं पास होने के बाद स्कूल प्रबंधन छात्रों से कहता है कि या तो फीस दो या फिर स्कूल छोड़ दो। उन्होंने लिखा कि कक्षा आठवीं तक प्राइवेट इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढऩे के बाद छात्र के पास सरकारी स्कूल में पढऩे के अलावा कोई ऑप्शन नहीं बचता है।