कुंभ के मेले में खुशियों से भर गई इस महिला की झोली, केंद्रीय अस्पताल में दिया बच्चे को जन्म

प्रयागराज में 15 जनवरी से शुरू हो रहे दुनिया के सबसे बड़े कुंभ के मेले से ठीक पहले एक परिवार की झोली खुशियों से भर गई। इस परिवार का वर्षों का इंतजार पूरा हुआ और मां गंगा से मांगी गईं मन्नतें पूरी हो गईं। यह खुशी एक बेटे के रूप में उनके घर आई। मेले के केंद्रीय अस्पताल में जन्मे इस बच्चे का नाम उन्होंने तीर्थराज के नाम पर ही ‘प्रयागराज’ रखा है।

कुंभ मेले के केंद्रीय अस्पताल में सफाईकर्मी मीरजापुर के लालगंज तहसील के गड़बड़ाधाम निवासी कल्लू की पत्नी रजनी ने बेटे को जन्म दिया, तो उनके परिवार के अलावा पूरा अस्पताल खुशी से झूम उठा। 3 बेटियों के बाद कल्लू और रजनी को बेटा मिला। वहीं, कुंभ में 100 बेड के अस्थायी केंद्रीय अस्पताल में पहले बच्चे ने जन्म लिया। बच्चे के जन्म के बाद अस्पताल में मिठाइयां बाटी गईं। अस्पताल के डॉक्टर से लेकर कर्मचारी तक कोई चाचा बना, कोई बुआ, तो कोई ताऊ। जब अस्पताल के लोगों ने मिलकर बच्चे का नाम प्रयागराज रखा, तो यह बच्चा चर्चा में आ गया। बच्चे के जन्म के बाद से कल्लू के घर बधाइयों का तांता लगा है और ‘प्रयागराज’ को देखने तमाम लोग पहुंच रहे हैं।

कुंभ केंद्रीय चिकित्सालय के डॉ. शक्ति दुबे ने बताया कि सफाईकर्मी कल्लू और उसकी पत्नी रजनी कुंभ में ड्यूटी के लिए यहां पहुंचे थे। अचानक रजनी को प्रसव पीड़ा के बाद उसे केंद्रीय अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां कुछ ही देर बाद रजनी ने एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया। ‘प्रयागराज’ के जन्म के बाद खुद उन्हें यकीन नहीं हो रहा है कि मामूली सफाईकर्मी का बेटा इतना खास कैसे हो गया।

बच्चे को जन्म दिलाने वाली डॉ. वर्षा व डॉ. रमा सिंह का कहना है कि हमें खुशी है कि प्रयागराज जिला बनने के बाद कुंभ क्षेत्र में यह पहला बच्चा जन्मा है। बेटे को जन्म देने वाली रजनी ने बताया कि उसकी अभी तक तीन बेटियां थीं। सबकी इच्छा थी कि घर में एक बेटा भी जन्म ले और तीर्थों के राजा प्रयागराज ने उनकी मुराद पूरी कर दी है। केंद्रीय अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ. एसपी सिंह व डॉ. सुरेश कुमार मौर्या ने बताया कि मेला क्षेत्र के अस्पताल में जन्मे इस पहले बच्चे का नाम प्रयागराज रखने का सुझाव हम लोगो ने दिया था। जो परिजनो को पसंद आया तो उन्होंने बेटे का नाम ‘प्रयागराज’ रख दिया है।