आरक्षण विधेयक लोकसभा से पारित कर संविधान की 9वीं सूची में निकाला पैदल मार्च

पदोन्नति में आरक्षण विधेयक लोकसभा से पारित कर संविधान की 9वीं सूची में डालने, उसे राज्यों के लिए बाध्यकारी बनाए जाने व दो लाख रिवर्ट हुए दलित कार्मिकों को उनके पदों पर बहाल करने समेत तमाम मांगों को लेकर शुक्रवार सुबह आरक्षण समर्थकों ने गोमती नगर स्थित भीमराव अंबेडकर स्मारक से पैदल मार्च निकाला।

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हजारों की संख्या में मौजूद आरक्षण समर्थकों का मार्च भागीदारी भवन से ताज होते हुए समता मूलक चौराहे तक पहुंचा और करीब चार किलोमीटर चलकर वापस अंबेडकर स्मारक पर खत्म हुआ। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के तत्वाधान में हुए इस मार्च के साथ आरक्षण समर्थकों ने आगे के आंदोलन का ऐलान कर दिया।

इस मौके पर आरक्षण समर्थकों ने कहा कि जब तक दलित कार्मिकों के साथ केंद्र की मोदी सरकार व उप्र की सरकार दलित कार्मिकों के साथ न्याय नहीं करती, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। आने वाले समय में लाखों की संख्या में दलित कार्मिक प्रदेश सरकार को पदोन्नित में आरक्षण की व्यवस्था बहाल करने के लिए बाध्य कर देंगे।

संघर्ष समिति के संयोजक अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि समिति ने तय किया है कि 1 से 15 अक्टूबर तक प्रदेश के सभी आरक्षित सीट के सांसदों के क्षेत्रों में ‘दलित सांसद चुप्पी तोड़ो, अपने समाज से नाता जोड़ो’, ‘दलित समाज की बात नहीं तो 2019 में वोट नहीं’ का व्यापक अभियान चलाया जाएगा। इसके बाद नवंबर के अंत में लखनऊ में महारैली की जाएगी, जिसमें देशभर के आरक्षण समर्थकों का जमावड़ा लगेगा। इस रैली में 2019 के लिए आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि इसके बाद दिसंबर माह से प्रदेश के सभी जिलों में जिला सम्मेलन के माध्यम से जागरूकता अभियान और एससीएसटी एक्ट का विरोध करने वाले नेताओं को वोट नहीं देने का व्यापक अभियान चलेगा।

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