नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने रविवार को एक्टर नसीरुद्दीन शाह का समर्थन करते हुए बोला कि उन्हें ‘परेशान’ करने के कोशिश किए जा रहे हैं।राष्ट्र में भीड़ हिंसा पर रिएक्शन देने व गैर सरकारी संगठनों पर गवर्नमेंट द्वारा की जा रही कथित कार्रवाई के विरूद्ध एमनेस्टी इंडिया के लिए एक वीडियो में आने की वजह से शाह विवादों में आ गए हैं। सेन ने बोला कि एक्टर को ‘परेशान’ करने के कोशिश किए जा रहे हैं।
वीडियो में शाह ने शुक्रवार को बोला कि जो अधिकारों की मांग कर रहे हैं, उन्हें कैद किया जा रहा है। सेन ने कहा, ”हमें एक्टर को परेशान करने के इस तरह के प्रयासों के विरूद्ध आवाज उठानी चाहिए। राष्ट्र में जो कुछ हो रहा है, वह आपत्तिजनक है व इसे जरूर रोका जाना चाहिए। ” बताते चलें कि एमनेस्टी इंटरनेशनल की ओर से जारी एक वीडियो में शाह हिंदुस्तानमें मानवाधिकारों के स्तर पर बयान देते नजर आ रहे हैं। वीडियो में शाह कह रहे हैं कि ”हमारे राष्ट्र का संविधान हमें बोलने, सोचने, किसी भी धर्म को मानने व इबादत करने की आजादी देता है। लेकिन, अब राष्ट्र में मजहब के नाम पर नफरतों की दीवार खड़ी की जा रही है। जो लोग इस अन्याय के विरूद्ध आवाज उठाते हैं, उन्हें इसकी सजा दी जाती है। ”
अन्याय के विरूद्ध उठी आवाज को दबाया जा रहा है- नसीरुद्दीन शाह
मानवाधिकारों की पर नजर रखने वाले संगठन एमनेस्टी इंडिया द्वारा शुक्रवार को जारी किये गए इस वीडियो में नसीरुद्दीन शाह कहते नजर आ रहे हैं कि इस राष्ट्र में कलाकार, अभिनेता, शोधार्थियों, कवियों सभी को दबाया जा रहा है। पत्रकारों को भी चुप कराया जा रहा है। एमनेस्टी इंडिया ने गैर सरकारी संस्थाओं के विरूद्ध गवर्नमेंट की कथित ”कार्रवाई” के विरोध में शुक्रवार को एक वीडियो जारी की जिसमें एक्टर नसीरुद्दीन शाह ने दावा किया कि हिंदुस्तान में धर्म के नाम पर नफरत की दीवार खड़ी की जा रही है व इस ”अन्याय” के विरूद्धआवाज उठाने वाले लोगों को सजा दी जा रही है।
सच न बोलने के लिए रोका जा रहा है
एमनेस्टी के 2.13 मिनट के एकजुटता वीडियो में शाह ने बोला कि जिन लोगों ने मानवाधिकारों की मांग की उन्हें कारागार में डाला जा रहा है। उन्होंने दावा किया, ”धर्म के नाम पर नफरत की दीवार खड़ी की जा रही है। निर्दोषों की मर्डर की जा रही है। राष्ट्र भयानक नफरत व क्रूरता से भरा हुआ है। ” एक्टर ने बोला कि जो इस ”अन्याय” के विरूद्ध खड़ा होता है उन्हें चुप कराने के लिए उनके कार्यालयों में छापे मारे जाते हैं, लाइसेंस रद्द किए जाते हैं व बैंक खाते फ्रीज किए जाते हैं ताकि वे हकीकत ना बोलें।
देश में केवल धनी लोगों की हो रही है सुनवाई
उन्होंने उर्दू में एक वीडियो में कहा, ”हमारा राष्ट्र कहां जा रहा है? क्या हमने ऐसे राष्ट्र का सपना देखा था जहां असंतोष की कोई स्थान नहीं है, जहां केवल धनी व ताकतवर लोगों को सुना जाता है व जहां गरीबों तथा सबसे निर्बल लोगों को दबाया जाता है? जहां कभी कानून था लेकिन अब बस अंधकार है। ”
पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान
एमनेस्टी ने ‘अबकी बार मानवाधिकार’ हैशटैग के तहत दावा किया कि हिंदुस्तान में अभिव्यक्ति की आजादी व मानवाधिकारों की पैरवी करने वालों पर बड़ी कार्रवाई की गई।एमनेस्टी ने कहा, ”चलिए इस नववर्ष हमारे संवैधानिक मूल्यों के लिए खड़े हों व हिंदुस्तान गवर्नमेंट को बताए कि अब कार्रवाई बंद होनी चाहिए। ” शाह ने पिछले महीने यह कह कर टकराव खड़ा कर दिया था कि गौ माता की मौत एक पुलिस ऑफिसर की मौत से अधिक जरूरी है।
विदेशी लेनदेन उल्लंघन मामले में एमनेस्टी के ठिकानों पर पड़ा था छापा
वह यूपी के बुलंदशहर में तीन दिसंबर को कथित गोकशी को लेकर हुई भीड़ की हिंसा की घटना पर बोल रहे थे। हिंसा में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह समेत दो लोगों की मौत हो गई थी। बताते चलें कि प्रवर्तन निदेशालय ने विदेशी लेनदेन उल्लंघन मामले के विषय में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के दो ठिकानों पर अक्टूबर में तलाशी ली थी।
लोगों ने शाह के बयान पर जताई प्रतिक्रिया
शाह की शुक्रवार की टिप्पणी पर रिएक्शन देते हुए मानवाधिकार कार्यकर्ता एनी राजा ने बोला कि एक्टर ने जो बोला वह सच्चाई है। राजा ने कहा, ”असहमति की कोई स्थान नहीं है।यहां तक कि लोकतंत्र की भी कोई स्थान नहीं है। हम अपने चारों तरफ हिंसा के रूप में इसका सबूत देख सकते हैं। ” मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वुमेंस एसोसिएशन (ऐपवा) की सचिव कविता कृष्णन ने कहा, ”शाह ने अपनी चिंताएं जताई व मुझे उम्मीद है कि लोग इस पर ध्यान देंगे। संसार को भी जानने की जरुरत है कि क्या हो रहा है। ”