अपने खुफिया अधिकारियों के निष्कर्षों से हमेशा सहमत नहीं होते, डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह अपने खुफिया अधिकारियों के निष्कर्षों से हमेशा सहमत नहीं होते। यही कारण है कि ईरान और इराक पर वह निष्कर्षों को खारिज कर चुके हैं। 

ट्रंप ने गत सप्ताह अपने खुफिया प्रमुखों पर तंज कसा था।

कांग्रेस की बहस में वैश्विक खतरे पर राष्ट्रीय खुफिया निदेशक और सीआईए और एफबीआई के अधिकारियों के बयान का उन्होंने उपहास किया था। ईरान, उत्तर कोरिया और आईएसआईएस पर भी राष्ट्रपति की राय खुफिया अधिकारियों की राय के उलट थी।

कांग्रेस में बहस के दौरान नेशनल इंटेलिजेन्स के निदेशक डेन कोट्स, सीआईए की निदेशक जिना हास्पेल तथा अन्य शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने सांसदों को बताया कि 2015 का परमाणु समझौता ईरान के लिए स्थायी है। ट्रंप ने कहा कि वह अपने खुफिया अधिकारियों के निष्कर्ष से सहमत नहीं थे कि ईरान के साथ परमाणु समझौता टिकाऊ है।

उन्होंने दावा किया कि ईरान अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इराक पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के मिथ्या आकलन की वजह से अमेरिका जंग में मुब्तला हुआ, ऐसा नहीं होना चाहिए था। ट्रंप ने सीबीसी न्यूज को एक साक्षात्कार में कहा कि खुफिया तंत्र के लोग हैं।

लेकिन इसका ये मतलब नहीं है मैं (उनके निष्कर्षों) से हमेशा सहमत हो जाऊं…जो लोग कहते थे कि इराक में सद्दाम हुसैन के पास परमाणु हथियार हैं, खुफिया तंत्र के उन लोगों को पता नहीं था कि जो गड़बड़ी उन्होंने की और जंग में हमें फंसाया, वहां हमें बिल्कुल नहीं होना चाहिए था।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि बुश प्रशासन के दौरान हुए खुफिया आकलन की वजह से अमेरिका ने पश्चिम एशिया पर न केवल 7000 अरब डॉलर खर्च कर दिए बल्कि हजारों जान भी गंवा दी। ट्रंप ने कहा कि वह अपने खुफिया अधिकारियों के इस आकलन से सहमत नहीं हैं कि ईरान परमाणु समझौते का पालन कर रहा है। उन्होंने कहा कि ईरान अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम पर आगे बढ़ रहा है।