मसूद अजहर को बचाना चीन को पड़ा भारी

भारत के मोस्ट वॉन्टेड आतंकी मसूद अजहर को बार-बार बचाना चीन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भारी पड़ गया है। पाकिस्तान को जहां दुनिया भर में आतंकवादियों को सप्लाई करने वाला देश माना जाता है वहीं अब चीन पर भी आतंकवादियों को संरक्षण देने और बचाने वाले देश का ठप्पा लग गया है। अमेरिका ने चीन को चेताया था कि अगर वो इस बार मसूद अजहर को बचाने के लिए टेक्निकल होल्ड का सहारा लेगा तो उसको दुनिया पाकिस्तान के समर्थक के तौर पर नहीं बल्कि आतंकियों को संरक्षण देने वाले देश की शक्ल में पहचानेगी।

चीन को उस वक्त अमेरिका की इस चेतावनी के नतीजों का अंदाजा नहीं था, लेकिन जैसे ही बीते दिन अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्यों के बीच मौलाना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किये जाने का मसौदा वितरित किया वैसे ही चीन को नतीजे अपने खिलाफ आने की आशंका हो गयी। क्यों कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई और अस्थाई सदस्यों में से केवल एक चीन ही है जो इस मसौदे के खिलाफ है। बाकी देश अमेरिकी मसौदे के पक्ष में हैं। अमेरिकी मसौदे को फ्रांस और ब्रिटेन के अलावा रूस और जर्मनी का भी समर्थन पहले से ही है। इस मसौदे के पारित होते ही चीन भी पाकिस्तान की तरह दुनिया में अलग-थलग पड़ सकता है।

आतंक के मुद्दे पर अलग-थलग पड़ते ही चीन को आर्थिक परेशानियां भी झेलनी पड़ेंगी, और चीन आर्थिक तौर पर अभी कोई भी रिस्क लेने की स्थिति में नहीं है। इसलिए चीन ने मसूद अजहर के मसले पर कूटनीतिक प्रयास शुरू कर दिये हैं। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने गैंग शुआंग ने शुक्रवार को लगभग गिड़गिड़ाते हुए मीडिया के सामने कहा कि हम (चीन)पर आतंकियों को संरक्षण देने का आरोप गलत है। हम मसूद अजहर के मामले को बातचीत के जरिए सुलझाने के प्रयास कर रहे हैं।

शुक्रवार को मीडिया ने चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से सीधे सवाल किया था कि अब आतंकियों को संरक्षण देने के आरोप पर क्या जवाब है? इसी सवाल पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की सिटीपिटी गुम हो गयी थी। चीनी प्रवक्ता ने गिड़गिड़ाने के साथ ही गीदड़ भभकी भी दी कि अमेरिका मसूद अजहर पर जबरदस्ती करके संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्था में दादागिरी कर रहा है।