इस वजह से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने रफ़ाल मामले में भ्रष्टाचार पर अनिल अंबानी को बताया जिम्मेदार

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली में बुधवार को एक प्रेस वार्ता कर कहा कि रफ़ाल मामले में भ्रष्टाचार हुआ है और आरोप लगाया कि खुद प्रधानमंत्री ने अपने मित्र अनिल अंबानी को फ़ायदा पहुंचाया है.

उन्होंने सवाल किया कि रफ़ाल डील से जुड़े कागजों का ग़ायब हो जाना कोई साधारण बात नहीं है.

उन्होंने कहा कि मोदी राज में सब कुछ ग़ायब हो रहा है. उन्होंने कहा, “दो करोड़ युवाओं को रोज़गार, किसानों को सही दाम मिलना था वो ग़ायब हो गया, 15 लाख रुपयों का वादा, किसानों के बीमा का पैसा, डोकलाम का मुद्दा, नोटबंदी और जीएसटी में लोगों का कारोबार ग़ायब हो गया और फिर रफ़ाल की फाइलें ग़ायब हो गईं.”

राहुल गांधी ने कहा “अनिल अंबानी को तीस हज़ार करोड़ रुपये मिल सकें इसीलिए रफ़ाल डील में देरी की गई. हमारी (यूपीए) सरकार की डील के अनुसार होता को अब तक रफ़ाल विमान भारत में होता.”

उन्होंने आरोप लगाया, “किसी भी चीज़ को तोड़-मरोड़ कर पेश करना है और बचाना है. मूल मंत्र यही है कि चौकीदार को बचाना है.”

पीएम की जाँच क्यों नहीं?

राहुल गांधी ने कहा कि डील से जुड़े कागज़ों में दिखाया है कि पीएमओ रफ़ाल डील के बारे में पैरलल नेगोशिएशन (दूसरे रास्ते से एक और बातचीत) कर रहे थे.

उनका कहना था कि ये भ्रष्टाचार का सीधा-सादा मामला है. रक्षा मंत्रालय से साफ़ तौर पर रिपोर्ट में लिखा है, “पीएमओ इज़ कैरिंग आउट पैरलल नेगोशिएशन”.

इस पर प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ आपराधिक मामला बनता है तो उनके ख़िलाफ़ जांच क्यों नहीं होती.

उन्होंने प्रधानमंत्री को चुनौती देते हुए कहा कि यदि इस डील में उनकी कोई भूमिका नहीं है तो वो खुद की जांच के लिए सामने क्यों नहीं आते?

रफ़ाल डील के अलावा प्रधानमंत्री ने खुद रात को डेढ़ बजे सीबीआई प्रमुख को हटाया, कोर्ट के उन्हें दोबारा नियुक्त करने के बाद उन्हें फिर हटा दिया गया. इन सभी मामलों में प्रधानमंत्री की भी जांच होनी चाहिए.

‘बहादुरी की सज़ा दी जा रही है’

राहुल गांधी ने द हिंदू अख़बार की उस रिपोर्ट की ज़िक्र किया जिसमें कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय को 21 जुलाई 2016 को सात सदस्यीय भारतीय नेगोशिएन टीम में कहा गया था कि पैरलल नेगोशिएशन चलने के कारण फ्रांस की इस डील में स्थिति मज़बूत बनी.

फ्रांस सरकार ने बैंक गारंटी देने से इनकार किया और इस कारण 36 रफ़ाल विमानों की कीमत करीब 246.11 मिलियन यूरो (पिछली यूपीए सरकार के साथ हुए करार में तय हुई कीमत के मुकाबले) बढ़ गई.

द हिंदू की एक अन्य रिपोर्ट में ये कहा गया है कि समाचार एजेंसी एएफ़पी को 2018 में दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि रफ़ाल डील में चल रही चर्चा में रिलायंस ग्रुप का एक नया नाम आया है जिसका फ़ैसला सत्ता में ने के बाद मोदी सरकार ने किया था.

इसके बाद द हिंदू के चेयरमैन और वरिष्ठ पत्रकार के ख़िलाफ़ सरकार ने ऑफ़िशयल सीक्रेट्स ऐक्ट के तहत गुप्त दस्तावेज़ सार्वजनिक करने के आरोप लगाए.

राहुल गांधी ने कहा कि द हिंदू की रिपोर्ट में स्पष्ट दिखाया है कि प्रधानमंत्री खुद डील पर बातचीत कर रहे थे, राफ़ेल की तारीख आगे बढ़ाई गई और फिर राफ़ेल के दाम भी बढ़ाए गए.

लेकिन ऑफ़िशयल सीक्रेट्स ऐक्ट का उल्लघंन करने के आरोप में उन पर मुकदमा कराने की धमकी बात कही जा रही है.

उन्होंने कहा कि ये तो ऐसी बात है जैसा कि किसी को बहादुरी दिखाने के लिए सज़ा दी जा रही है.