गवर्नमेंट के सूत्रों के मुताबिक एफसीआई से व्यापारियों के बारे में जानकारी और आंकड़े मांगे गए हैं. इसमें इस बात की पड़ताल होगी कि किसने बड़े पैमाने पर गेहूं की खरीद कर जमाखोरी कर रखी होगी. उनके विरूद्ध कदम उठाया जा सकता है. सूत्र बताते हैं कि एफसीआई द्वारा खुले मार्केट में लगातार गेहूं बेचे जाने के बावजूद कीमतों में कमी नहीं आ रही है.
एफसीआई अब तक रिकॉर्ड 80 लाख टन गेहूं खुले मार्केट में उतार चुका है. माना जा रहा है कि एफसीआई से चर्चा के बाद उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने जमाखोरों के विरूद्ध कदम उठाने का फैसला लिया है. जमाखोरी की वजह से कई बार गवर्नमेंट को कठिनाई का सामना करना पड़ता है. खासतौर पर प्याज व आलू की जमाखोरी के विरूद्ध पिछले कुछ वर्षों में कड़े कदम उठाए गए हैं.
जमाखोरी से बढ़ रही महंगा हो रहा गेहूं
विशेषज्ञों का कहना है कि गवर्नमेंट द्वारा गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत व मेहनत का डेढ़ गुना जरूर किया गया था. लेकिन उसकी कीमतों में असंतुलित वृद्धि की वजह यह नहीं है. ऐसे में यह साफ हो जाता है कि जमाखोरी कि वजह से गेहूं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं.
बताते चलें कि लोकसभा चुनाव के दौरान गेहूं की कीमतों में लगातार इजाफा गवर्नमेंट के लिए कठिनाई का सबब बन सकता है. ऐसे में वह इस मामले में हर संभव कदम उठाएगी.