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बजट में ‘आप’ से बड़ी रेखा खींचने की चुनौती, क्या अलग छाप छोड़ पाएंगी भाजपा की मुख्यमंत्री?

दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र सोमवार 24 मार्च से शुरू होकर शुक्रवार 28 मार्च तक चलेगा। इस बजट से यह स्पष्ट हो जाएगा कि दिल्ली की भाजपा सरकार राजधानी को किस दिशा में ले जाना चाहती है। साथ ही यह भी साफ हो सकेगा कि दिल्ली के विकास के लिए सरकार के पास क्या खाका है? एक पार्षद से सीधे विधायक और दिल्ली के मुख्यमंत्री पद तक की यात्रा तय करने वाली रेखा गुप्ता के सामने भी अपना विजन दिखाने की चुनौती रहेगी। क्या वे इस कोशिश में सफल हो पाएंगी?

शिक्षा-स्वास्थ्य को बेहतर करने की जरूरत
अरविंद केजरीवाल और आतिशी मारलेना की सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण अवश्य घिर गई, लेकिन इसके बाद भी वह अपनी यह छवि बनाने में सफल रही थी कि उसकी सरकार में सबसे ज्यादा पैसा शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च किया जाता है। दिल्ली सरकार ने वर्ष 2024-25 के 76,000 करोड़ रुपये के कुल बजट में स्वास्थ्य सेवाओं पर 8,685 करोड़ का बजट निर्धारित किया था जो कुल बजट का 11.42 प्रतिशत था। सरकार ने शिक्षा के लिए 16396 करोड़ का बजट निर्धारित किया था जो कुल बजट का 21 प्रतिशत से ज्यादा था। रेखा गुप्ता सरकार के सामने शिक्षा-स्वास्थ्य के बजट को घटाए बिना दिल्ली स्कूलों की स्थिति बेहतर बनाने का दबाव रहेगा।

आयुष्मान योजना के कारण भी बढ़ेगा दबाव
दिल्ली सरकार ने राजधानी के लोगों को आयुष्मान योजना का लाभ देने की घोषणा कर दी है। जानकारी के अनुसार, आयुष्मान योजना में शुरुआती दौर में प्रीमियम केवल 1051 रुपये था, जिसमें केंद्र 630.60 रुपये का अंशदान देती थी, शेष रकम राज्य सरकारों को वहन करनी पड़ती थी। दिल्ली में आयुष्मान योजना का लाभ बढ़ाकर दस लाख रूपये तक कर दिया गया है। इससे बीमा का प्रीमियम भी दो गुना तक हो जाएगा, लेकिन इसका बढ़ा हुआ भार राज्य सरकार को ही वहन करना होगा। ऐसे में दिल्ली सरकार के लिए इस मोर्चे पर भी निपटना पड़ेगा।

टैक्स बढ़ाए बिना कल्याणकारी योजनाओं को पूरा करने की चुनौती
भाजपा सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने द्वारा घोषित कल्याणकारी योजनाओं महिला आर्थिक सम्मान योजना, बुजुर्गों-विधवाओं-दिव्यांगों की पेंशन और गरीबों को अटल थाली के रूप में सस्ता भोजन उपलब्ध कराने की योजनाओं को पूरा करने की चुनौती होगी। उसे पूर्व सरकार द्वारा घोषित कल्याणकारी योजनाओं (मुफ्त बिजली, पानी, दिल्ली बसों में मुफ्त सफर) को जारी रखने की भी होगी। सबसे बड़ी बात, उसे यह सारा काम बिना टैक्स का बोझ बढ़ाए करना होगा। यदि सरकार किसी तरह टैक्स का बोझ बढ़ाती है तो वह लोगों के बीच अलोकप्रिय हो सकती है।

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