दर्शकों पर इतना क्यों छाया हुआ है स्क्विड गेम का खुमार, जानिए क्या है साइकोलॉजिस्ट की राय
‘स्क्विड गेम’ का पहला सीजन दिलचस्प मोड़ पर खत्म हुआ। पिछले सीजन में जंग-जे का किरदार ‘जी हुन’ की जीत हुई, लेकिन वह डरा हुआ था। हालांकि, पहला सीजन क्लिफहैंगर पर खत्म हुआ, जिसमें जी हुन ने भयावह खेल के पीछे के मास्टरमाइंड से बदला लेने की कसम खाई, जहां हारने का मतलब मौत थी। स्क्विड गेम का बहुप्रतीक्षित दूसरा सीजन 26 दिसंबर को रिलीज हुआ। भारत में यह सीरीज खूब लोकप्रिय हुई और दर्शक इस सीरीज की ओर आकर्षित हुए। वर्तमान में यह देखा गया है कि भारतीय दर्शक ऐसी सीरीज के प्रति बहुत ज्यादा आकर्षित हैं, जिसमें बहुत ज्यादा खतरनाक दृश्य दिखाए हैं। ऐसी साइकोलॉजिकल थ्रिलर सीरीज के प्रति लोग क्यों आकर्षित होते हैं, इस बारे में अमर उजाला ने साइकोलॉजिस्ट डाॅ ओम प्रकाश से बातचीत की, जो मनोचिकित्सा के प्रोफेसर एवं इहबास के उप-मेडिकल अधीक्षक हैं। चलिए मनोचिक्त्सक दृष्टि से जानते हैं कि भारत में ऐसी सीरीज क्यों लोकप्रिय हो रही है और इसके क्या फायदे और नुकसान हैं। जानिए क्या हैं डाॅ ओम प्रकाश की राय
डाॅ ओम प्रकाश कहते हैं, ‘स्क्विड गेम भारत में इसलिए लोकप्रिय है, क्योंकि इसके विषय हमारे सामाजिक और मानसिक यथार्थ से गहराई से जुड़े हुए हैं। मनोचिकित्सक के रूप में मैं इसके कुछ सकारात्मक और नकारात्मक पहलू देखता हूं…
सकारात्मक पहलू
1. जुड़ावपूर्ण संघर्ष
शो में आर्थिक संघर्ष और असमानता को दिखाया गया है, जो भारत के कई लोगों की वास्तविक चुनौतियों को दर्शाता है। यह दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ता है।
2. भावनात्मक राहत
कठिन परिस्थितियों में जीवित रहने वाले चरित्रों को देखना दर्शकों को अपनी चिंताओं को एक काल्पनिक और सुरक्षित तरीके से समझने और राहत पाने का मौका देता है।
3. नैतिक द्वंद्व और आत्मचिंतन
शो में दिखाए गए नैतिक विकल्प दर्शकों को आत्ममंथन करने और विश्वास, मूल्यों और अस्तित्व पर चर्चा करने के लिए प्रेरित करते हैं।
4. सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता
यह शो समाज में असमानता, शक्ति और वर्ग विभाजन पर ध्यान आकर्षित करता है, जो सोचने पर मजबूर करता है।
5. सांस्कृतिक आकर्षण
भारतीय दर्शक बलिदान, संघर्ष और उच्च भावनात्मक स्तर की कहानियों से स्वाभाविक रूप से आकर्षित होते हैं, और यह शो इन्हीं तत्वों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करता है।