कपालभांति करने से शरीर को मिलता है ये लाभ, दूर भागती है ये बिमारी

ध्यान रखें कि सांस लेना नहीं है क्योंकि उक्त क्रिया में सांस अपने आप ही अंदर चली जाती है। कपालभाती प्राणायाम करते समय मूल आधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करना होता है। इससे मूल आधार चक्र जाग्रत होकर कुंडलिनी शक्ति जागृत होने में मदद मिलती है।

इस क्रिया को शक्ति व आवश्यकतानुसार 50 बार से धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 500 बार तक कर सकते हैे, किन्तु एक क्रम में 50 बार से अधिक न करें। क्रम धीरे-धीरे बढ़ाए।

साथ ही पेट को भी यथासंभव अंदर की ओर संकुचित करें। तत्पश्चात तुरन्त नाक के दोनों छिद्रों से साँस को अंदर खीचतें हैं और पेट को यथासम्भव बाहर आने देते है।

इस प्रणायाम का अभ्यास करने के लिए रीढ़ को सीधा रखते हुए किसी भी ध्यानात्मक आसन, सुखासन या फिर कुर्सी पर बैठें। इसके बाद तेजी से नाक के दोनों छिद्रों से साँस को यथासंभव बाहर फेंकें।

अगर इसका नियमित रूप से अभ्यास किया जाए तो इससे कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। तो चलिए जानते हैं कपालभांति करने और उससे होने वाले फायदों के बारे में-

पिछले कुछ समय से सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में योग को महत्व दिया जा रहा है। आज कई तरह की बीमारियों को दूर करने में योगाभ्यास का सहारा लिया जाता है। यूं तो योगा में कई तरह के पाॅश्चर किए जाते हैं लेकिन कपालभाति एक ऐसा प्रणायाम है जो किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है।