कुछ कहानियों की याद भर ढेर सारी उदासी लेकर आती है। ऐसी ही एक कहानी थी उस रोमानियन फिल्म, ‘फोर मंथ्स, थ्री वीक्स एंड टू डेज’ की। 1987 का समय है।
दो लड़कियां यूनिवर्सिटी स्टूडेंट हैं। उनमें से एक प्रेग्नेंट है। फिल्म उस अनचाहे गर्भ को गिराने की उन दोनों की जद्दोजहद की कहानी है। धूसर रंगों में फिल्माई व लगातार किसी अंधेरे में खिसकती हुई फिल्म में लंबे-लंबे दृश्य हैं, जिनमें कोई संवाद नहीं। सिर्फ उनका अकेला होना है, सबकी नजरों से बचकर खुद को बचा लेने की प्रयास करना है, उस चिकित्सक का ब्लैकमेल करना है व वो सन्नाटा, जो फिल्म के पर्दे पर, उनके भीतर व उसे देखते हुए आपके भीतर भी उतरता जाता है। इललीगल अबॉर्शन करने से पहले चिकित्सक उस प्रेग्नेंट लड़की की सहेली के साथ संभोग करता है। लड़कियों को बात माननी पड़ती है क्योंकि उनके पास व कोई रास्ता नहीं।
अगर आप त हैं व एक संवदेनशील मर्द भी, तो उस फिल्म को देखते हुए आपका दिल बैठ जाएगा। आप सोचेंगी, शुक्र है कि आप बनिस्बतन एक अच्छा देश में, अच्छा समय में पैदा हुईं।
1987 के रोमानिया में गर्भपात अवैध था। रोमानियन एकादमिक एद्रियाना ग्रैदिया की मानें तो अवैध होने के कारण असुरक्षित उपायों से गर्भपात कराने की प्रयास में तकरीबन 10,000 लड़कियों ने अपनी जान गंवाई।
फिल्म के निर्देशक क्रिस्तियान मुनचियु ने फिल्म रिलीज के दौरान प्रेस के साथ शेयर किए एक आंकड़े में बोला था कि लगभग पांच लाख लड़कियों ने इस तरह चोरी-छिपे अबॉर्शन कराने के लिए अपनी जान खतरे में डाली थी। 1989 की क्रांति के बाद रोमानिया में अबॉर्शन लीगल हो गया व इसे स्त्रियों के संवैधानिक अधिकारों में शुमार किया गया।
ये फिल्म 12 वर्ष पहले बनी थी, जिसकी कहानी 40 वर्ष पुरानी है। लेकिन इतने वर्षों बाद भी इस फिल्म को देखना एक ऐसे अनुभव से गुजरना है, जो आपके दिलो दिमाग पर हमेशा के लिए नक्श हो जाने वाला है।