लोगों के लिए बड़ी आफत बन गए ये जीव, अजीब आवाजें सुनकर जाग उठे लोग

गुजरात के वडोदरा में एक मगरमच्छ एक घर के बाथरूम तक जा पहुंचा। रात को अजीब आवाजें सुनकर उस घर के परिजन चौंक गए। परिवार के शख्स ने इधर-उधर झांका तो बाथरूम में मगरमच्छ के नुकीले दांतों वाला मुंह देखकर उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। घरवालों ने तुरंत पशु कल्याण संगठन को फोन किया। उन्हें बताया कि घर में मगरमच्छ आ घुसा है। जिसके बाद रात करीब 2.45 संगठन की रेस्क्यू टीम उस मगरमच्छ को पकड़ने उक्त मकान में आई। काफी मशक्कत के बाद उस मगरमच्छ को पकड़ा और फिर सुरक्षित जगह ले जाकर छोड़ा।


मगरमच्छ के बाथरूम में घुस आने की घटना महेंद्र पाढियार के घर हुई। महेंद्र पाढियार ने बताया कि रात में अजीब आवाजें आने पर हमने देखा कि एक कोने में एक मगरमच्छ बैठा हुआ है, जो नुकीले दांतों के साथ हमें ताक रहा था। हम सब सोए हुए थे। मगर, शोर सुनकर जाग पड़े थे। जब पता चला कि मगरमच्छ आ गया है तो पशु कल्याण संगठन की टीम को फोन करके बताया। हालांकि, अंधेरा होने के कारण उस मगरमच्छ को तब पकड़ना मुश्किल था। करीब एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद उसे काबू किया गया और फिर उसे टीम साथ ले गई।’

इस नदी से वडोदरा सिटी में घुस रहे मगरमच्छ
गुजरात में विश्वामित्री नदी मगरमच्छों के लिए ही जानी जाती है। माना जाता है कि यहीं से मगरमच्छ रिहायशी इलाके में घुसा। जुलाई-अगस्त के महीने में जब भयंकर बारिश के चलते वडोदरा बाढ़ से जूझ रहा था तो शहरभर में मगरमच्छ रेंगते दिखाई देने लगे थे। मगरमच्छ गली-मोहल्लों में पानी के बहाव के साथ ही घुसे। वे गाय और कुत्तों पर हमला करने लगे। जिसके तब भी कई वीडियो वायरल हुए थे। नवंबर में फिर एक मगरमच्छ पकड़े जाने का वीडियो सामने आया।

इसी शहर में सबसे ज्यादा मगरमच्छ निकले
पिछले दिनों आरएफओ निधि दवे ने बताया था कि इस साल मानसूनी सीजन में 22 सितंबर तक 76 मगरमच्छ पकड़े जा गए। जिनमें से 41 मगरमच्छों को 16 अगस्त के बाद पकड़ा गया। यानी, यहां बड़ी संख्या में मगरमच्छ मिले। इतने मगरमच्छ किसी और शहर में घुसने की खबरें नहीं आईं।’ निधि दवे ने माना कि मगरमच्छ इंसानी बस्तियों में अभी भी हो सकते हैं। इसलिए, टीमें सूचनाओं के इंतजार में रहती हैं।

इससे पहले जब आधे से ज्यादा शहर पानी की चपेट में था और कई जगह छतों तक भर गया था। गले तक मुसीबत के इस माहौल में उससे भी बड़ी आफत लोगों के लिए मगरमच्छ बन गए थे। मगरमच्छों द्वारा इंसानों एवं पालतू पशुओं पर हमला किए जाने के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे।

लोग घरों से बाहर निकलने में भी डर रहे थे
वहीं, शहर में मगरमच्छ देख-देखकर लोगों के मन में डर इस कदर बैठ गया था है कि वे घरों से बाहर निकलने में भी डरने लगे। इन घटनाओं से उबरने के लिए लोगों को मनोचिकित्सक की सलाह लेनी पड़ी। एक डॉक्टर राकेश जड़ेजा ने बताया कि ऐसी घटनाओं का असर लोगों के दिमाग पर हुआ। जिसे हम ‘मगर फोबिया’ कह सकते हैं।

31 जुलाई को आई बाढ़ के बाद पनपे मगरमच्छ
31 जुलाई को आई बाढ़ के बाद शहर में मगरमच्छ दिखने शुरू हुए। तब वन सहायक संरक्षक विनोद दामोर ने कहा था, मगरमच्छों को पकड़ने के लिए 6 टीमों का गठन किया गया। साथ ही गैर सरकारी संगठनों के स्वयंसेवक और एनडीआरएफ की टीमें भी लगाई गईं।

विश्वामित्री नदी में हैं 10 फीट तक लंबे मगरमच्छ
अधिकारी के मुताबिक, विश्वामित्री नदी में 10 फीट तक लंबे मगरमच्छ पाए जाते हैं, लेकिन अभी तक जो पकड़े उसमें ज्यादातर पांच फुट से भी कम थे। हालांकि, अगस्त में एनडीआरएफ की एक टीम ने 10 फीट लंबा मगर भी पकड़ा।