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प्रॉपर्टी का हक महिलाओं को बनाएगा सशक्त! आत्मविश्वास बढ़ेगा, पैसे की बचत भी होगी

महिलाओं को आमतौर पर घर की मालकिन माना जाता है, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि मालिकाना हक भी उन्हीं का हो। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण पांचवें चरण के मुताबिक भारत में 15 से 49 वर्ष की केवल 13 फीसद महिलाओं के पास घर का मालिकाना हक है, जबकि अन्य 29 फीसद महिलाओं के पास संयुक्त रूप से घर का स्वामित्व है। देश में केवल 8.3 फीसद महिलाएं भू-स्वामी हैं, जबकि 23.4 फीसद महिलाएं संयुक्त-रूप से भूमि पर अधिकार रखती हैं। प्रॉपर्टी के हक से जुड़ा आधी आबादी का यह आंकड़ा चिंताजनक है, जबकि महिला के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने से उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा साथ ही पैसे की बचत होगी।

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के मुताबिक महिलाओं के मुकाबले पुरुषों के पास ज्यादा संपत्ति का अधिकार है। कुल मिलाकर, 42.3 फीसद महिलाओं और 62.5 फीसद पुरुषों के पास घर का अधिकार है, जबकि 31.7 फीसद महिलाओं और 43.9 फीसद पुरुषों के पास अकेले या किसी और के साथ संयुक्त रूप से जमीन का स्वामित्व है।

जमीन और घर का स्वामित्व न केवल महिलाओं को सशक्त बनाता है, बल्कि उनके लिए आय सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है। यह अधिकार पारिवारिक फैसले लेने में उन्हें सार्थक आवाज देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

स्टाम्प ड्यूटी में छूट
भारत के कई राज्यों में पुरुषों की तुलना में महिला संपत्ति मालिकों के लिए स्टाम्प ड्यूटी कम है। दिल्ली में स्टाम्प ड्यूटी 6% है जबकि महिला खरीदारों के लिए यह 4% है। इसी तरह कई अन्य राज्य महिलाओं को स्टाम्प ड्यूटी में 1 से 2 फीसद तक की छूट का प्रावधान है। उत्तर प्रदेश महिलाओं को 10 लाख रुपए तक की राशि पर स्टांप ड्यूटी में छूट मिल रही है। कम स्टाम्प ड्यूटी खरीदारों, खासकर मध्यम वर्ग के संपत्ति मालिकों के लिए बहुत बड़ी राहत हो सकती है।

कम ब्याज दर
महिलाएं अपने लोन का भुगतान समय पर करती हैं। इस वजह से बैंक महिलाओं को प्रॉपर्टी में निवेश करने और नए घर खरीदने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। कई बैंक होम लोन की ब्याज दरों पर महिला ग्राहकों को 0.05% से 1% की रियायत भी देते हैं। हो सकता है कि ब्याज पर मिलने वाली छूट बहुत कम लगे, लेकिन होम लोन की अधिक राशि और लंबी भुगतान अवधि को देखते हुए, इससे कुल ब्याज लागत पर काफी बचत हो सकती है।

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