शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने की राम मंदिर निर्माण के लिए 51,000 रुपये देने की घोषणा

उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजमी ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए 51,000 रुपये की राशि देने की घोषणा की है। वसीम रिजवी ने गुरुवार को कहा कि शिया वक्फ बोर्ड अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में था और सुप्रीम कोर्ट का फैसला जो जितना अच्छा संभव हो सकता था ‘सबसे अच्छा फैसला’ रहा।

उन्होंने कहा, ”राम जन्मभूमि पर एक भव्य मंदिर के निर्माण की तैयारी चल रही है। चूंकि भगवान राम हम सभी के पूर्वज हैं, इसलिए हम ‘वसीम रिजवी फिल्म्स’ की ओर से मंदिर निर्माण की दिशा में राम जन्मभूमि न्यास को 51,000 रुपये दे रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के सर्वसम्मत फैसले ने अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है, अदालत ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के मस्जिद बनाने के लिए केंद्र को अलग से पांच एकड़ का भूखंड आवंटित करने का भी निर्देश दिया है।

बता दें कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आ चुका है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन का असल मालिक रामलला विराजमान को माना है। इसके साथ ही सरकार को 6 महीने के भीतर एक ट्रस्ट बनाकर मंदिर निर्माण की रूपरेखा तय करने को भी कहा गया है, जबकि सुन्नी वफ्फ बोर्ड को कोर्ट ने अयोध्या में ही दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण को लेकर सरकार द्वारा बनाए जाने वाले ‘अयोध्या ट्रस्ट’ को लेकर विवाद शुरू हो गया है। हर दिन ट्रस्ट के नए-नए दावेदार सामने आ रहे हैं। सबसे पहले रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास ने कहा था कि जब एक ट्रस्ट (रामजन्मभूमि न्यास) पहले से है तो नए ट्रस्ट की जरूरत ही क्यों है। अब श्रीराम जन्मभूमि रामालय ट्रस्ट के सचिव स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का दावा है कि उनका न्यास मंदिर निर्माण के लिए विधिक और व्यवहारिक तौर पर सर्वाधिक उपयुक्त है। इसे लंबे समय से सबका सहयोग मिल रहा है। इसमें शामिल सभी सनातन धर्माचार्यों का सहयोग मिलता रहा है। राजनीति से इस मामले को दूर रखते हुए रामालय न्यास को ही अयोध्या में रामलला मंदिर बनाने और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी दी जाए।