महाराष्ट्र (Maharashtra) में बीजेपी (BJP) के सरकार गठन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सभी दलों को नोटिस जारी किया है. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई कल यानी सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी है. अब सोमवार को सुबह 10:30 बजे मामले की सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायकों और राज्यपाल की चिट्ठी देखने के बाद मामले की सुनवाई होगी.
बता दें कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले के खिलाफ शिवसेना (Shiv Sena), एनसीपी (NCP) और कांग्रेस ने (Congress) सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका में बीजेपी सरकार को बर्खास्त करते हुए 24 घंटे के भीतर फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की गई थी.सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ इस मामले की सुनवाई की. सुनवाई शुरू होते ही कांग्रेस की ओर से पेश अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि हम माफी मांगते हैं कि आपको रविवार को बुलाना पड़ा. इस पर कोर्ट ने कहा कि कोई बात नहीं. सुनवाई के दौरान जस्टिस भूषण ने महाराष्ट्र विधानसभा में जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराने पर सहमति जताई. सुनवाई के दौरान सिब्बल ने कोर्ट में कहा, ‘स्पष्ट किया जाए कि आधी रात को महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन किस आधार पर हटाया गया.’ उन्होंने कहा कि यदि फडणवीस के पास संख्या बल है, तो उन्हें सदन के पटल पर यह साबित करने दें, अन्यथा महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए हमारे पास संख्या बल है.
BJP के सरकार गठन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए SC ने सभी दलों को जारी किया नोटिस
वरिष्ठ वकील ए एम सिंघवी ने शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस की ओर से पेश होते हुए कहा कि शरद पवार के साथ राकांपा के 41 विधायक हैं. सिंघवी ने पीठ को बताया कि राकांपा के कुल विधायकों की संख्या 54 है और 41 विधायकों ने महाराष्ट्र के राज्यपाल को लिखा है कि अजित पवार को विधायक दल के नेता पद से हटा दिया गया है. सिब्बल ने कहा कि राज्यपाल ने सत्तारूढ़ पार्टी को बहुमत साबित करने के लिए 30 नवंबर तक का जो समय दिया है, उसका मतलब कुछ और है. उन्होंने कहा, यह लोकतंत्र के साथ पूरी तरह से धोखा और उसकी हत्या है कि सरकार बनाने की मंजूरी तब दे दी गई जब राकांपा के 41 विधायक उनके साथ नहीं हैं.