
नई दिल्ली: भारतीय मौसम विभाग ने इस साल होने वाली मानसून की बारिश को लेकर अनुमान जारी किया है। मौसम विभाग की ओर से जारी जानकारी के मुताबिक, इस साल भारत में औसत से 105 फीसदी अधिक मानसूनी बारिश हो सकती है। इसके साथ ही आईएमडी ने का कहना है कि इस साल भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून के दौरान अल नीनो स्थितियां विकसित होने की संभावना नहीं है।
अल नीनो का नहीं दिखेगा असर
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के प्रमुख मृत्युंजय महापात्रा ने कहा, भारत में चार महीने के मानसून सत्र (जून से सितंबर) में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। राष्ट्रीय मौसम विभाग ने कहा कि उसे मानसूनी बारिश लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) के न्यूनतम 105 प्रतिशत रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम मानसून वर्षा के लिए जिम्मेदार अल नीनो की स्थिति इस बार विकसित होने की संभावना नहीं है।
अल नीनो मौसम से जुड़ी एक वैश्विक घटना है, जिसका दक्षिण-पश्चिम मानसून पर गहरा असर पड़ता है। अल नीनों की स्थिति तब बनी है जब प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में समुद्री सतह का तापमान बढ़ जाता है, जिससे दुनिया के कई क्षेत्रों में मौसमी पैटर्न बिगड़ जाते हैं।
भारी गर्मी की चेतावनी
देश के कई हिस्से पहले से ही भीषण गर्मी से जूझ रहे हैं और अप्रैल से जून की अवधि में काफी अधिक गर्मी वाले दिन होने की उम्मीद है। इससे बिजली ग्रिड पर दबाव पड़ सकता है और पानी की कमी हो सकती है।
भारत में खेती योग्य जमीन का 52 प्रतिशत प्राथमिक वर्षा प्रणाली पर निर्भर करता है। यह देश भर में बिजली उत्पादन के अलावा पीने के पानी के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी महत्वपूर्ण है। इसलिए, मानसून के मौसम में सामान्य वर्षा की भविष्यवाणी देश के लिए एक बड़ी राहत की बात है।