कांग्रेस लगातार उठा रही लखीमपुर खीरी का मुद्दा , राष्‍ट्रपति से मिले राहुल और प्रियंका गांधी

कांग्रेस लगातार लखीमपुर खीरी का मुद्दा उठा रही है। बुधवार को ही पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी और पार्टी के पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने इस मुद्दे को लेकर राष्‍ट्रपति से मुलाकात की। कांग्रेस इस मुद्दे पर लगातार अजय मिश्रा की कैबिनेट से बर्खास्‍तगी की मांग कर रही है। हालांकि राजनीतिक विश्‍लेषक मानते हैं कि कांग्रेस अपने राजनीतिक फायदे को इस मुद्दे में तलाश रही है। यही वजह है कि वो इस मुद्दे को लगातार जिंदा रखना चाहती है।

आपको बता दें कि अगले वर्ष पांच राज्‍यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें से दो राज्‍य जो बेहद खास हैं वो उत्‍तर प्रदेश और पंजाब है। पंजाब में कांग्रेस की स्थिति को यदि देखें तो वो पार्टी के अंदर चल रहे घमासान से घिरी हुई है। राज्‍य के पूर्व मुख्‍यमंत्री केप्‍टन अमरिंदर सिंह ने राज्‍य में नई पार्टी बना ली है। उनकी भाजपा नेताओं से पिछले दिनों बैठक भी हुई है।

आने वाले दिनों में उनकी क्‍या रणनीति होगी इस पर उनका राजनीतिक भविष्‍य भी निर्भर करेगा। लेकिन अमरिंदर के कांग्रेस से जाने के बाद उसको नुकसान होने की आशंकाओं को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता है। वहीं जानकार मानते हैं कि सूबे में विधानसभा चुनाव के दौरान असली टक्‍कर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में ही देखने को मिलेगी।

लखीमपुर के अलावा कांग्रेस किसानों के मुद्दे को भी लगातार उठा रही है। इन दोनों का ही सीधा संबंध पंजाब और यूपी से है। दरअसल, लखीमपुर घटना में मारे गए किसान भी सिख थे।

इस नाते कांग्रेस इस मुद्दे को भुनाने में कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाहती है। राजनीतिक विश्‍लेषक कमर आगा का कहना है कि भले ही कांग्रेस इस मुद्दे को जिंदा रखने की कोशिश में लगी है और ये चुनाव तक जिंदा भी रहेगा, लेकिन इसके बावजूद इसका कोई फायदा कांग्रेस को कम ही मिलेगा।

हालांकि वो ये भी कहते हैं कि यूपी के विधानसभा चुनाव में पश्चिम यूपी में इन मुद्दों का कुछ प्रभाव दिखाई दे सकता है। हालांकि ये वोटों में तब्‍दील होगा इस बारे में कह पाना काफी मुश्किल है।

आगा का कहना है कि किसानों का मुद्दा बीते एक वर्ष से अधिक समय से चल रहा है इसके बाद भी ये कुछ ही राज्‍यों तक सिमटा हुआ है। पंजाब, यूपी, हरियाणा के आगे ये नहीं जा सका है।

वहीं विधानसभा चुनावों की यदि बात करें तो इसमें किसान आंदोलन और लखीमपुर के नाम पर वोटिंग नहीं होगी। यूपी में जहां कांग्रेस अपनी राजनीतिक जमीन को दोबारा तलाशने में लगी है वहीं पंजाब इसका जलवा कुछ जरूर कायम है। यूपी में कांग्रेस का कोई संगठन पहले जैसा नहीं रह गया है।