अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को RSS ने बताया ये, कहा हिन्दू परिषद ने स्वीकारा

अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद (Ram Janmabhoomi-Babri Masjid case) जमीन टकराव में उच्चतम न्यायालय के निर्णय का राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) ने ‘विजय भव:’ की स्थान ‘उत्साह’ के साथ स्वागत किया
 उच्चतम न्यायालय के निर्णय से ज्यादा आरएसएस की जीत इस तथ्य में है कि यह बेहद संवेदनशील मुद्दा संविधान के दायरे में ही हल हो गया  विभिन्न पक्षों ने इसका स्वागत किया

इस मुद्दे में आरएसएस  भाजपा ने तमाम नेताओं तथा लोगों से धैर्य भरी रिएक्शन की अपील की इस वर्ष सितंबर में राजस्थान के पुष्कर में हुई संघ की मीटिंग में पूरी रणनीति पर चर्चा हुई यहां संघ के शीर्ष नेताओं ने सदस्यों से साफ बोला कि उच्चतम न्यायालय में चाहे इस मुद्दे में जीत हो या हार, स्वयंसेवकों को शांत रहना है

वहीं दिल्ली स्थित छतरपुर के ध्यान साधना केन्द्र में 30-31 अक्टूबर को हुई मीटिंग के बाद आरएसएस ने सार्वजनिक रूप से सभी लोगों से यही अपील दोहराई आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अगली कुछ जनसभाओं में साफ शब्दों में बोला कि अयोध्या टकराव में अपने पक्ष में अगर निर्णय आए तो उसे जीत या पराजय की तरह नहीं देखा जाना चाहिए उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद भी उन्होंने यही बात दोहराई

इससे पहले आरएसएस ने नवबंर के पहले सप्ताह में हरिद्वार में होने वाली अपनी मीटिंग रद्द कर दी इसके साथ ही इस निर्णय के मद्देनजर इस महीने होने वाले सभी प्रोग्राम स्थगित कर दिए गए सूत्रों के मुताबिक, संघ का मानना था कि जितने कम आयोजन होंगे, शांति कायम रखना उतना ही सरल होगा इससे बयानवीरों की जुबान बंद तो नहीं लेकिन उनकी आवाज़ कुछ कम जरूर की जा सकती है

1980  90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन के लिए जनसमर्थन जुटाने में अग्रणी रही दुनिया हिन्दू परिषद (VHP) ने भी भागवत की इस रणनीति को स्वीकार किया एक वर्ष पहले जब उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या मुद्दे की सुनवाई स्थगित की थी, तब वीएचपी ने देशभर में बड़े आंदोलन की चेतावनी दी थी उसने दिल्ली में एक बड़ी रैली भी आयोजित की थी

अक्टूबर 2018 में खुद भागवत ने भी प्रस्ताव रखा कि केन्द्र सरकार को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए कानून पारित कराना चाहिए उन्होंने बोला था, ‘अयोध्या मुद्दे की सुनवाई में देरी की कोशिशें से समाज के धैर्य की इम्तिहान लेने जैसी हैं ‘ इससे पहले तक वह लगातार इस टकराव के न्यायिक हल की ही बात कहते रहे हैं

अयोध्या मुद्दे में भागवत  वीएचपी की तरफ से पेश इस तरह का धैर्य  उच्चतम न्यायालय के निर्णय इंतजार करना एक तरह पीएम नरेंद्र मोदी की क्षमताओं को दर्शाता है भागवत के धैर्य की एक बानगी यह भी रही कि इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान यह मामला शायद ही कभी सुनाई दिया प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह चुनाव हिन्दुत्व की स्थान पूरी तरह राष्ट्रवाद के मामले पर लड़ने का फैसला लिया  इस तरह अयोध्या मुद्दा इस बार ज्यादा नहीं उछला

उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद मोहन भागवत  प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का सम्बोधन देश के साथ संसार भर के लिए एक संदेश था यहां निर्णय के बाद राम भक्तों का उन्माद, या भारी जश्न या हिंसा भड़कने से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदुस्तान की छवि को ठेस पहुंचने का खतरा था

अयोध्या टकराव पर निर्णय के बाद देशभर में शांति बनाए रखने में विपक्ष की किरदार से भी मना नहीं किया जा सकता राहुल  प्रियंका गांधी से लेकर मायावती  अखिलेश यादव सहित तमाम विपक्षी पार्टियों ने ‘अब इससे आगे बढ़ते हैं’ की रणनीति के तहत लोगों से शांति  एकजुटता की अपील की इस मुद्दे में लगभग सभी दल तथा नेता एकराय के साथ ही दिखे