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अदालत में प. बंगाल सरकार का जवाब- CBI ‘अवांछित अतिथि’… जांच का अधिकार नहीं’

नई दिल्ली;सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल सरकार ने सीबीआई को उसके राज्य में एक ‘अवांछित अतिथि’ बताते हुए कहा कि उसके सामान्य सहमति वापस लेने के बाद सीबीआई के पास राज्य के अंदर मामलों की जांच करने का अधिकार नहीं है। शीर्ष अदालत पश्चिम बंगाल के आसनसोल-रानीगंज क्षेत्र में अवैध कोयला व्यापार की सीबीआई जांच से संबंधित सूखे ईंधन की खरीद और बिक्री में लगी कंपनी के निदेशक अनूप मजी समेत आरोपी व्यक्तियों की नौ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

याचिकाओं पर सुनवाई 7 मई तक के लिए टली
जस्टिस विक्रम नाथ व जस्टिस संदीप मेहता की पीठ के समक्ष ममत बनर्जी सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने दलील पेश की। सिंघवी ने कहा, हालांकि, राज्य सरकार का निजी व्यक्ति के खिलाफ तत्काल आपराधिक मामले से कोई लेना-देना नहीं है। सरकार सिर्फ अवांछित अतिथि (सीबीआई) के बारे में चिंतित है। पीठ ने आरोपियों की याचिकाओं पर सुनवाई 7 मई तक के लिए टाल दी, जब सीबीआई की ओर से एक वकील ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मामले में बहस करेंगे, लेकिन वह उपलब्ध नहीं थे।

केंद्रीय एजेंसी की दलील- अपराध रेलवे से संबंधित, सीबीआई को जांच का पूरा अधिकार
सीबीआई ने जोर देकर कहा है कि अपराध रेलवे से संबंधित है और इसलिए यह उसके अधिकार क्षेत्र में आता है। इससे पहले पीठ ने इस मामले में माजी को गिरफ्तारी से बचाया था। पीठ ने राज्य सरकार की ओर से दायर एक अलग मुकदमे के बारे में भी पूछताछ की, जिसमें सामान्य सहमति वापस लेने के बावजूद राज्य में मामलों की जांच को आगे बढ़ाने की सीबीआई की कार्रवाई का विरोध किया गया था।

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