समाजवादी पार्टी के सामने विरासत बचाने की चुनौती, ये चुनावी गणित BJP के पक्ष में खेल सकता है बड़ा खेला

उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के वोटों की गिनती सुबह 8 बजे से शुरू होगी और चुनावी नतीजों से तय होगा कि मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की विरासत बचाने में डिंपल यादव (Dimple Yadav) कामयाब होती हैं या भारतीय जनता पार्टी (BJP) समाजवादी पार्टी (SP) के गढ़ में जीत हासिल करेगी. ये सीट सपा के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है, जिसपर उत्तर प्रदेश के अलावा देशभर के लोगों की निगाहें हैं.

सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट (Mainpuri Lok Sabha Seat) खाली हुई थी, जिसके बाद इस इस पर उपचुनाव कराया गया.  मैनपुरी सीट पर समाजवादी पार्टी (SP) ने अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की पत्नी डिंपल यादव (Dimple Yadav) को चुनावी मैदान में उतारा है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने रघुराज सिंह शाक्य (Raghuraj Singh Shakya) को उम्मीदवार बनाया है.

मैनपुरी लोकसभा सीट पर लंबे समय से समाजवादी पार्टी (SP) का कब्जा रहा है और सपा आसानी से बड़े अंतर से जीत दर्ज करती आई है, लेकिन 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में यह अंतर कम हुआ था और मुलायम सिंह यादव ने सिर्फ 94 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी. 2019 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने 524926 वोट मिला था, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रेम सिंह शाक्य ने 430537 वोट हासिल किया था.

इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव (Mainpuri Lok Sabha Election) में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की जीत का अंतर 3.64 लाख थी और उनको 595918 वोट मिला था, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के शत्रुघ्न सिंह चौहान को सिर्फ 231252 वोट मिले थे. वहीं, 2009 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव के जीत का अंतर 1.73 लाख थी, जबकि साल 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने 3.37 लाख के अंतर से चुनाव जीता था.

मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव (Mainpuri Lok Sabha Bypolls) में समाजवादी पार्टी (SP) के सामने विरासत बचाने की चुनौती है, लेकिन पिछले चुनाव में 94 हजार के वोट का अंतर पार्टी उम्मीदवार डिंपल यादव (Dimple Yadav) की दिक्कतें बढ़ाने वाला हो सकता है, क्योंकि इस बार के बसपा और कांग्रेस ने चुनाव नहीं लड़ा है. ऐसी स्थिति में सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (BJP) और सपा के बीच है और दलित वोटर्स अहम भूमिका निभा सकते हैं.

मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP) एक बार भी मैनपुरी लोकसभा सीट पर चुनाव नहीं जीत पाई है, लेकिन उसको दलित वोटर्स का साथ हमेशा मिला है. मैनपुरी में बसपा का औसत वोट प्रतिशत करीब 16 फीसदी रहा है और इस बार ये वोट जिस पार्टी को मिलेगा उसको फायदा हो सकता है. मैनपुरी में करीब 2 लाख दलित वोटर्स (Dalit Voters) है और अगर यह वोट बीजेपी के पक्ष में जाता है तो सपा उम्मीदवार डिंपल यादव का जितना मुश्किल हो सकता है.