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नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में जारी विधानसभा चुनाव की सगर्मियों के बीच शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के राजनीतिक दलों- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) को नसीहत दी है। अदालत ने दोनों पक्षों से कहा कि चुनावी माहौल के बीच अदालतों में अपना समय बर्बाद न करें। अदालत ने दोनों दलों से कहा कि जमीन पर जाएं और मतदाताओं को अपनी नीतियों से प्रभावित कर उनके वोट मांगें। उच्चतम न्यायालय ने अजित पवार की अगुवाई वाली राकांपा को 36 घंटे के भीतर अखबारों में यह ‘डिस्क्लेमर’ जारी करने का भी निर्देश दिया। अदालत ने साफ किया कि एनसीपी को ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न आवंटित करने का मामला अदालत में विचाराधीन है, यह सूचना स्पष्ट रूप से प्रकाशित करानी होगी।
देश की तीसरी सबसे बड़ी विधानसभा में सियासी समीकरण
महाराष्ट्र में इस बार सियासी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने के आसार हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि लगभग 25 महीने पहले जून, 2022 में महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार गिरी थी। इसके बाद भाजपा समर्थित सरकार बनी। शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के दो-फाड़ होने के बाद राज्य में पहली बार विधानसभा चुनाव होंगे। महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार के पास 202 विधायकों का समर्थन है। 102 विधायकों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है। अजीत पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के 40 विधायक हैं। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के 38 विधायक हैं। 14 निर्दलीय विधायकों ने भी एनडीए सरकार को समर्थन दिया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार को पांच अन्य छोटे दलों का समर्थन भी हासिल है।
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महाराष्ट्र में विपक्षी खेमा कितना मजबूत
इसके अलावा विपक्षी खेमे (महाविकास अघाड़ी- MVA) में कुल 71 विधायक हैं। विपक्ष में कांग्रेस 37 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना के 16 विधायक हैं। वरिष्ठ राजनेता शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP-SP) के 12 विधायक हैं। समाजवादी पार्टी के दो, सीपीआईएम और पीडब्लूपीआई के एक-एक विधायक हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के दो विधायक भी विपक्षी खेमे में हैं। 15 विधानसभा सीटें खाली हैं