रामायण से लेकर महाभारत तक कई ऐसी भी कहानियां हैं जिनमें पति की मृत्यु के बाद देवर से करनी पड़ती थी शादी

बाल्मीकि रामायण में देवी सीता के बारे में बताया गया है कि वह अपने सभी देवरों का समाना रूप से ख्याल रखती थीं। देवर भी इन्हें माता रूप में मानते थे। लेकिन रामायण से लेकर महाभारत तक कई ऐसी भी कहानियां हैं जिनमें पति की मृत्यु के बाद देवर द्वारा भाई से विवाह करने की बात आई है। आइए जानें किन परिस्थितियों में उस जमाने की अपने क्षेत्र में प्रभावशाली महिलाओं ने देवर और जेठ का थामा था हाथ।

तारा का सुग्रीव से विवाह
तारा एक अप्सरा थी जिनका विवाह अपने जमाने के परम पराक्रमी बाली से हुआ था। यह एक विद्वान और राजनीति की समझ रखने वाली महिला थी। जब भगवान राम के बाणों से घायल बाली मृत्यु के करीब था तब उसने अपनी पत्नी तारा से कहा कि मेरे बाद तुम्हारा ऐश्वर्य का तुम्हारे महत्व में कोई कमी ना आए इसलिए तुम मेरे छोटे भाई सुग्रीव से विवाह कर लेना। पति की अंतिम आज्ञा मानकर तारा ने सुग्रीव से विवाह कर लिया।

मंदोदरी
रावण की पत्नी मंदोदरी के बारे में बाल्मीकि रामायण में लिखा है कि रावण की मृत्यु के बाद जब विभीषण लंका के महाराज बने तो मंदोदरी ने उनसे विवाह कर लिया। मंदोदरी अप्सरा रंभा की पुत्री थी। यह भी तारा के समान ही प्रभावशाली महिला थी। रावण ने अंत समय में मंदोदरी को बताया कि वह जानता था कि राम के हाथों उसे मुक्ति मिलेगी। विभीषण धर्म के मार्ग पर है और उसे राज काज संचालन में तुम्हारी जरूरत होगी इसलिए तुम विभीषण से विवाह कर लेना। रावण वध के बाद विभीषण के अलावा रावण कुल का कोई पुरुष शेष नहीं बचा था। इसलिए कुल की मर्यादा की रक्षा के लिए भी मंदोदरी ने रावण से विवाह कर लिया था।

भानुमती
काम्बोज की राजकुमारी भानुमती से दुर्योधन से बलपूर्वक विवाह कर लिया था। लेकिन यह कर्ण को पसंद करती थी। महाभारत युद्ध में जब दुर्योधन और कर्ण दोनों मारे गए तो भानुमती ने महाभारत के महायोद्धा अर्जुन को अपना पति मान लिया। इस तरह महाभारत युद्ध के बाद रिश्ते की एक नई कहानी लिखी गई।