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बिजली उत्पादन की रफ्तार कोरोना के बाद सबसे धीमी, विनिर्माण गतिविधियों में कमजोरी से पड़ा प्रभाव

अर्थव्यवस्था में सुस्ती के चलते देश का बिजली उत्पादन 2024 में कोरोना के बाद सबसे धीमी गति से बढ़ा है। आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में बिजली उत्पादन सालाना 5.8% बढ़कर 1,824.13 अरब किलोवाट घंटे हो गया है। वर्ष की दूसरी छमाही में उत्पादन में वृद्धि औसतन 2.3 फीसदी रही, जो पहली छमाही की 9.6 फीसदी की वृद्धि का लगभग एक चौथाई है।

आंकड़ों के अनुसार, बिजली उत्पादन में कमी अर्थव्यवस्था में नरमी के अनुरूप थी, जो 30 सितंबर को समाप्त तिमाही के दौरान लगभग दो वर्षों में सबसे धीमी गति से बढ़ी। कमजोर मांग के बीच दिसंबर में विनिर्माण गतिविधि साल में सबसे कमजोर गति से बढ़ी है। हालांकि, विश्लेषकों को उम्मीद है कि विपरीत मौसम के कारण औद्योगिक गतिविधि व आवासीय बिजली के उपयोग में बढ़ोतरी से 2025 में खपत 6 से 7 फीसदी की दर से बढ़ सकती है। दिसंबर में पारा का स्तर गिरने और गरमी वाले उपकरणों के उपयोग में वृद्धि के साथ मांग पहले ही बढ़ गई है। बिजली की मांग में धीमी वृद्धि और उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी में रिकॉर्ड 12.1 फीसदी की वृद्धि ने दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक को कोयले की हिस्सेदारी में तीन साल की बढ़त हासिल करने में मदद की।

कोयला और नवीकरणीय ऊर्जा की बढ़ेगी हिस्सेदारी
विश्लेषकों को उम्मीद है कि इस साल प्राकृतिक गैस से चलने वाली बिजली की कीमत पर कोयले और नवीकरणीय ऊर्जा दोनों की हिस्सेदारी बढ़ेगी, जो पिछले साल 17.3 फीसदी बढ़ी थी। इस वर्ष नवीकरणीय क्षेत्र में भी धीमी वृद्धि देखी गई। कुल सौर उत्पादन में 18.4 फीसदी की वृद्धि हुई जो 2015 में जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए भारत द्वारा अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के बाद से सबसे कम है।

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