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किसी ने बचाई जिंदगी तो किसी ने कला जगत में किया नाम! बाल पुरस्कार विजेताओं ने ऐसे रचा कीर्तिमान

नई दिल्ली:  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के 17 विजेताओं को सम्मानित किया। कला, संस्कृति और खेल जगत के साथ ही बच्चों को बहादुरी के लिए बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ये सम्मान समारोह राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित किया गया। इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेताओं ने देशभक्ति का जो उदाहरण पेश किया है, वह इस बात का विश्वास है कि हमारे देश का भविष्य युवा पीढ़ी के हाथों में सुरक्षित है। बाल पुरस्कार विजेताओं में किसी ने अपनी बहादुरी से कई जिंदगियां बचाईं तो किसी ने कला और संस्कृति के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित किया। तो आइए जानते हैं हमारे बाल पुरस्कार विजेताओं के बारे में-

केया हटकर
बाल पुरस्कार विजेताओं में 14 वर्षीय केया हटकर का नाम शामिल है। केया एक लेखक हैं और साथ ही वे दिव्यांगों के अधिकारियों की मुखर समर्थक हैं। स्पाइनल मस्क्युलर एट्रॉफी नामक खतरनाक बीमारी से ग्रस्त होने के बावजूद केया ने कला और संस्कृति जगत में उल्लेखनीय काम किया है। वह एक बेस्टसेलिंग किताब की लेखक हैं।

व्यास ओम जिग्नेश
17 साल के व्यास ओम जिग्नेस खतरनाक सेरेब्रल पल्सी से ग्रस्त हैं। इसके बावजूद संस्कृत साहित्य के लिए उनका समर्पण अविश्वसनीय है। व्यास को पांच हजार श्लोक मुंहजुबानी याद हैं और वे देशभर में संस्कृत साहित्य को लेकर 500 से ज्यादा कार्यक्रम कर चुके हैं। संस्कृति के संरक्षण में व्यास को देशभर में तारीफ मिली है।

सौरव कुमार
9 साल के सौरव कुमार को बहादुरी के लिए बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। सौरव ने तीन लड़कियों को डूबने से बचाया था। वहीं 17 साल के इओना थापा ने आग लगने पर 36 निवासियों को समय रहते वहां से निकलने में मदद की थी। ऐसे गजब कारनामे के लिए थापा को सम्मानित किया गया है।

सिंदूरा राजा
15 साल के सिंदूरा राजा को अविष्कार के लिए बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। सिंदूरा राजा ने पार्किंसन के मरीजों के लिए एक ऐसी डिवाइस बनाई है, जिससे पार्किंसन के मरीजों को काफी मदद मिली है।

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