पत्नी से सिसोदिया की 7 घंटे की होगी मुलाकात, इन शर्तों का करना होगा पालन

तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को एक बार फिर झटका लगा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता की अंतरिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।

बीमार पत्नी की देखभाल के लिए सिसोदिया ने कोर्ट से छह सप्ताह की राहत मांगी थी। हालांकि, कोर्ट ने सिसोदिया को पत्नी से मुलाकात की इजाजत दी है। कोर्ट ने कहा है कि किसी दिन घर पर या अस्पताल में सिसोदिया की पत्नी से मुलाकात कराई जाए। कोर्ट ने इसके लिए कुछ शर्तें भी रखी हैं।

अदालत ने, हालांकि, सिसोदिया को सुविधाजनक दिन पर सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे के बीच अपनी पत्नी से मिलने की अनुमति दी। आदेश में कहा गया है, ‘मनीष सिसोदिया को जमानत देने के लिए राजी होना मुश्किल है। हालांकि, हम निर्देश देते हैं कि उन्हें (सिसोदिया) को घर या अस्पताल में ले जाकर पत्नी से मुलाकात कराई जाए। सुबह 10 से शाम 5 के बीच उन्हें ले जाया जाए।’

कोर्ट ने कहा कि इस दौरान याचिकाकर्ता परिवार के सदस्यों के आलावा किसी से बात नहीं कर सकते हैं। जज ने कहा, ‘दिल्ली पुलिस को यह सुनिश्चित करना है कि जब सिसोदिया पत्नी से मिलने जाएं तो मीडिया का जमावड़ा ना हो। वह मोबाइल फोन या इंटरनेट का इस्तेमाल ना करें।’कोर्ट ने यह भी कहा कि सिसोदिया की पत्नी को सर्वोत्तम इलाज दिया जाए।

दिल्ली हाई कोर्ट ने सिसोदिया की 6 सप्ताह की अंतरिम जमानत अर्जी पर शनिवार को फैसला सुरक्षित रख लिया और एलएनजेपी अस्पताल से सीमा के स्वास्थ्य की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी थी। इससे पहले शनिवार को मनीष सिसोदिया को कुछ घंटों के लिए घर जाने की इजाजत दी गई थी।

हालांकि, वह घर तो पहुंचे लेकिन बीमार पत्नी से मुलाकात नहीं कर पाए। हाई कोर्ट के आदेश पर सिसोदिया को तिहाड़ जेल से घर ले जाया गया था लेकिन तबियत बिगड़ने के कारण सिसोदिया की पत्नी को अस्पताल ले जाना पड़ा, जिस कारण दोनों की मुलाकात नहीं हो सकी। बाद में सिसोदिया तिहाड़ लौट गए।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ता सिसोदिया की पत्नी की चिकित्सा रिपोर्ट से उनकी सेहत में सुधार है, लेकिन अभी निगरानी में रखने की जरूरत है। चिकित्सा रिपोर्ट के हवाले ने न्यायालय ने कहा है कि सिसोदिया की पत्नी अभी होश में हैं और उनका रक्तचाप और पल्स रेट स्थिर है।

उच्च न्यायालय ने सिसोदिया की पत्नी की बीमारी की स्थिति को देखते हुए उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने का आदेश दिया है। न्यायालय ने कहा है कि यद्यपि याचिकाकर्ता के पत्नी का इलाज कहां हो यह मरीज और परिवार के सदस्यों की पसंद पर निर्भर करता है। हालांकि, यह अदालत अभिभावक के रूप में सुझाव देती है कि एम्स के चिकित्सा अधीक्षक द्वारा गठित डॉक्टरों के बोर्ड द्वारा उसकी जांच की जा सकती है।